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भैय्या जी का अड्डा: जौरा में कैलारस शुगर मिल शुरू कराना बड़ा मुद्दा, जो काम करेगा वोट भी उसी को मिलेगा

मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव में 16 सीटें ग्वालियर चंबल अंचल की हैं. माना जा रहा है कि, यही सीटें तय करेंगी कि, मध्यप्रदेश में किसकी सत्ता रहेगी. ईटीवी भारत के खास प्रोग्राम 'भैय्या जी का अड्डा' के जरिए जानिए मुरैना जिले की जौरा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की राय..

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मुरैना न्यूज

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Published : Oct 21, 2020, 8:19 PM IST

मुरैना।मुरैना जिले की पांच विधानसभा सीटों पर रहे उपचुनाव में जौरा विधानसभा सीट भी शामिल है, जो कांग्रेस के दिवंगत विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन से खाली हुई थी. उपचुनाव के चलते यहां सियासी हलचल तेज हैं. बीजेपी कांग्रेस और अन्य दलों के प्रत्याशी लगातार प्रचार कर मतदाताओं को अपने पक्ष में लुभाने में जुटे हैं. ईटीवी भारत अपने खास प्रोग्राम 'भैय्या जी का अड्डा' के जरिए मतदाताओं के मन की बात जानने की कोशिश कर रहा है. लिहाजा आज ईटीवी भारत का कारवां जौरा पहुंचा, जहां मतदाताओं ने चुनावी मुद्दों पर ईटीवी भारत से चर्चा की.

भैय्या जी का अड्डा

जौरा में बीजेपी ने सूबेदार सिंह सिकरवार को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने पंकज उपाध्याय को मैदान में उतारा है. तो बसपा ने यहां से सोनेराम कुशवाहा को चुनावी अखाड़े में उतारा है. लेकिन यहां के मतदाताओं ने ईटीवी भारत से सबसे पहले स्थानीय समस्याओं पर चर्चा की. क्योंकि क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं की समस्या आज भी नजर आती है. जौरा विधानसभा सीट की ग्रामीण आबादी इन सुविधाओं के नहीं मिलने से ज्यादा परेशान दिखती है, जिससे लोग जनप्रतिनिधियों पर नाराजगी भी जाहिर करते हैं.

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बेरोजगारी बड़ा मुद्दा

जौरा विधानसभा क्षेत्र में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है. स्थानीय युवा नौकरियां और अन्य प्रकार के रोजगार नहीं होने के चलते परेशान नजर आते हैं. युवाओं का मानना है कि जब तक क्षेत्र में रोजगार नहीं होगा तब तक यहां परेशानियां जस की तस बनी रहेंगी. इसके अलावा क्षेत्र में महंगाई भी एक बड़ा मुद्दा है. मतदाता मानते हैं कि, आज हर चीज इतनी महंगी हो गई है कि खुद का पेट भरना भी लोगों के लिए काफी मुश्किल हो गया है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि, वो महंगाई कम करने के प्रयास करे और रोजगार उपलब्ध कराएं. ताकि लोगों को कुछ राहत मिल सके.

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कृषि क्षेत्र में होना चाहिए विकास

जौरा विधानसभा सीट के तहत तीन नगर पंचायतें आती हैं. इसके अलावा जौरा विधानसभा का बड़ा हिस्सा ग्रामीण है, जो कृषि आधारित है, इसलिए क्षेत्र के मतदाता कृषि का विकास कराना चाहते हैं. किसान वर्ग पिछले दो दशकों से बंद पड़े सहकारी शक्कर कारखाने को चालू कराना चाहते हैं. मतदाताओं का कहना है कि जब भी चुनाव आते हैं बीजेपी और कांग्रेस दोनों दल इसे इसे चालू कराने की बात करते हैं. लेकिन अब तक यह कारखाना चालू नहीं हो पाया है. दोनों ही दलों की सरकार के समय इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.

कुछ लोगों का मानना है कि कोरोना संक्रमण काल में नए विकास कार्यों को रोक दिया गया. रोजगार के अवसर सृजित करने पर प्रतिबंध लग गया. सरकार की किसी योजना का लाभ ऐसे में जनता को नहीं मिल पाया. लिहाजा इस बार जनता उसी प्रत्याशी को मौका देने की बात करती नजर आ रही है. जो उनकी उम्मीदों पर खरा उतरे.

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