मुरैना। जिले में शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की 124 वीं जयंती मनाई गई. कोरोना संक्रमण के चलते इस बार कोई विशेष आयोजन नहीं किया गया. बिस्मिल के अनुयायियों ने उन्हें नमन करते हुए याद किया. जयंती के अवसर पर मुरैना के नेशनल हाइवे-3 स्थित डाइट परिसर में बने रामप्रसाद बिस्मिल के शहीद मंदिर में प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पूजा अर्चन कर आरती उतारी गई. आपको बता दें कि शहीद रामप्रसाद बिस्मिल (Ramprasad Bismil) का एममात्र मंदिर मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में ही है. उनकी जयंती पर उनके पैतृक गांव बरबाई में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
कई उपलब्धियों के थे धनी
स्वतंत्रता सेनानी, कवि,शायर, अनुवादक, इतिहासकार या फिर साहित्यकार, बिस्मिल को जिस भी उपलब्धि से पुकारा जाए वो बहुत कम है. 11 जून क्रांतिकारी शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की 124वीं जयंती (Pandit Ram Prasad Bismil's 124th Birth Anniversary) मनाई जाती है. बिस्मिल का जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था, लेकिन उनका पैतृक गांव मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की अम्बाह तहसील का बरबाई गांव है. पैतृक गांव के साथ साथ शाहिद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल का एकमात्र मंदिर भी मुरैना जिले में ही बना हुआ है.
हर रोज होती है आरती
मुरैना के नेशनल हाइवे-3 स्थित डाइट परिसर में बने अमर शाहिद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल (Pandit Ramprasad Bismil) का मंदिर है. जहां हर रोज उनकी पूजा-अर्चना पुजारी द्वारा की जाती है. साथ ही रोजाना मंदिर के पट खुलने पर पुजारी द्वारा सबसे पहले बिस्मिल जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाता है. उसके बाद प्रतिमा की आरती उतारी जाती है और जयकारें लगाए जाते है. मुरैना जिले में यह नजारा सिर्फ रामप्रसाद बिस्मिल की जयंती पर नहीं, बल्कि रोजाना सुबह 6 बजे देखने को मिलता है.
कोरोना के कारण नहीं हुआ यात्रा का आयोजन