मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

चंबल नदी का जल स्तर 144 मीटर पार, तीन दिन से बाढ़ में फंसे 700 से ज्यादा लोग - मुरैना

चंबल अंचल में औसत से भी कम वर्षा होने के कारण, किसानों की खरीफ और रबी की फसल पर संकट के बादल छाए हुए थे, वहीं अब किसानों के लिए चंबल नदी का पानी दूसरी मुसीबत बन गया है.

चंबल नदी

By

Published : Sep 17, 2019, 8:39 PM IST

Updated : Sep 18, 2019, 3:30 AM IST

मुरैना। चंबल नदी में दो दशक बाद इतनी अधिक मात्रा में आए पानी की वजह से चंबल किनारे लगभग 1 किलोमीटर क्षेत्र में खड़ी खरीफ की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है, जिले में लगभग 400 हेक्टेयर से ज्यादा खरीफ की फसल नष्ट होने से चंबल किनारे बसे किसानों के सामने बाढ़ का और इसके कारण आने वाले समय में अनाज और चारे का संकट साफ दिखाई दे रहा है.

ग्राउंड रिपोर्ट


मुरैना जिले सहित पूरे चंबल अंचल में औसत से भी कम वर्षा होने के कारण, जहां किसानों की खरीफ और रबी की फसल पर संकट के बादल छाए हुए थे, वहीं अब किसानों के लिए चंबल का पानी दूसरी मुसीबत बन गया है. चंबल में राजस्थान के बैराज और गांधी सागर बांध के पानी से आई बाढ़ के कारण खरीफ की फसल नष्ट हो गई है.

चंबल बनी मुसीबत


ऐसे हालातों में जिले के किसान को सिर्फ प्रशासन का आश्वासन मिल रहा है. अभी तक इससे पहले नष्ट हुई फसल का सर्वे नहीं नहीं कराया गया. इस बार चंबल का जलस्तर 145 मीटर है और इसके कारण लगभग 1 किलोमीटर क्षेत्र में 400 से 500 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है.


चंबल का जलस्तर अभी 145 मीटर से अधिक चल रहा है, जिसके कारण मुरैना जिले के 130 गांव बाढ़ की चपेट में हैं, इनमें से 22 गांव अभी भी ऐसे हैं, जहां ग्रामीण अभी भी फंसे हुए हैं, फंसे हुए लोगों की संख्या लगभग 750 से अधिक है. प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, होमगार्ड और सेना के सहयोग से लोगों को ऊंचे स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. बाढ़ पीड़ितों के लिए खाने-पीने और अन्य राहत के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. इन लोगों को सिर्फ उम्मीद है, क्योंकि प्रशासन ने रेस्क्यू के समय उन्हें आश्वासन दिया था कि सभी व्यवस्था की जाएंगी, इसी उम्मीद में पिछले 3 दिनों से सड़क किनारे लगे पेड़ों के नीचे बैठे अपना समय काट रहे हैं

Last Updated : Sep 18, 2019, 3:30 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details