मुरैना। जिला न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शरदचंद्र सक्सेना ने प्रधान आरक्षक रामअवतार सिंह कुशवाहा को 500 रुपए की रिश्वत के मामले में दोषी मानते हुए चार साल सश्रम कारवास की सजा सुनाई है. रावअवतार पर पांच हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है.
मुरैनाः रिश्वत के मामले में प्रधान आरक्षक दोषी, चार साल की सजा 5 हजार का जुर्माना
मुरैना कोर्ट ने प्रधान आरक्षक राजू कुशवाहा को एक बस एक्सिडेंट के मामले में फरियादी से 500 रुपए की रिश्र्वत लेने के आरोप में दोषी मानते हुए सुनाई चार साल के सश्रम कारावास की सजा और 5 हजार रुपए के अर्थदंड चुकाने के आदेश दिए.
अभियोजक पीके श्रीवास्तव ने बताया फरियादी बलबीर सिंह तोमर ने शिकायत की थी की उसके बेटे योगेश तोमर के नाम से चलने वाली एक बस का 15 जुलाई 2014 को एक्सीडेंट हो गया था. जिस पर बस को थाने में ले जाया गया. 16 जुलाई को जब बस मालिक बस छुड़वाने पहुंचा तो प्रधान आरक्षक रावअवतार सिंह ने झांसा देकर एक हजार रुपए की रिश्वत और गांड़ी की सुपुर्द करने के लिए 500 रुपए की रिश्वत ली.
बलबीर सिंह तोमर ने दिनांक 17 जुलाई को पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय मोती महल ग्वालियर को इस बात की शिकायती आवेदन दिया. 18जुलाई को लोकायुक्त कार्यालय ग्वालियर से प्रारंभिक कार्रवाई संपन्न करने के बाद ट्रैप दल राजू कुशवाहा को उसके घर पर 500 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया. विवेचना और अभियोग के बाद जिला न्यायालय मुरैना ने रामअवतार को रिश्वत लेने के मामले में दोषी पाए जाने पर चार साल की सजा और पांच हजार रुपए का अर्थ दंड लगाया है.