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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी असगर खान की जुबानी भारत छोड़ो आंदोलन की पूरी कहानी... - freedom fighter Asran Khan

74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे 97 वर्षीय असगर खान ने बताया कि किस तरह से उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और उस वक्त कैसे अंग्रेजों को हिंदुस्तान से बाहर का रास्ता दिखाया. पढ़िए पूरी खबर...

Asghar Khan freedom fighter fighter
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी असगर खान

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Published : Aug 15, 2020, 10:35 AM IST

Updated : Aug 15, 2020, 10:57 AM IST

मुरैना।74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे 97 वर्षीय असगर खान से बातचीत की, असगर खान ने बताया कि जब भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गया था उस समय अंग्रेजों की जड़ें कमजोर हो चुकी थी और न केवल जनता बल्कि पुलिस भी अंग्रेजों का साथ छोड़ चुकी थी. उस समय पुलिस आंदोलनकारियों को अंग्रेज अधिकारियों के आदेश पर पकड़ती तो थी लेकिन कुछ समय बाद छोड़ दिया करती थी. जिससे अंग्रेजों को लगने लगा कि अब हमारी मदद करने वाला हिंदुस्तान में कोई नहीं बचा और इसलिए वह मजबूरन देश छोड़ने पर विवश हो गए.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी असगर खान

भारत छोड़ो आंदोलन में लिया भाग

मुरैना के गणेशपुरा में रहने वाले 97 वर्षीय असगर खान ने बताया कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुरैना जिले के लगभग 2 सैकड़ा से अधिक लोग स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ रहे थे और उनका नेतृत्व करने वाले विभिन्न तहसील और जनपद क्षेत्रों से 20 से 25 लोग हुआ करते थे, जिनके अनुसार हम सभी लोग स्वतंत्रता की लड़ाई में काम करते थे.

रिश्तेदारों ने भी छोड़ दिया था साथ

स्वतंत्रता सेनानी असगर बताते हैं कि भारत छोड़ो आंदोलन के समय असगर खान करीब 18 साल के थे, उस समय अंग्रेजी हुकूमत की पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए और जिन से वह संपर्क रखते थे. उन्हें पकड़ने के लिए उनके घर आया करती थी, लेकिन पुलिस के रोज-रोज आने से परिजनों ने भी हम से रिश्ता तोड़ लिया और पुलिस को कह दिया करते थे कि उस से हमारा कोई संबंध नहीं है.

असगर खान

सरकार द्वारा आंदोलनकारियों को आर्थिक मदद

स्वतंत्रता के बाद मुरैना जिले में लगभग 2 सैकड़ा से अधिक आंदोलनकारी चिन्हित किए गए थे, 70 के दशक में सरकार द्वारा उन आंदोलनकारियों को आर्थिक मदद देनी शुरू की. शुरूआत में दो हजार से पेंशन देनी शुरू की, जिसे धीरे-धीरे दो हजार से शिवराज सरकार के दौरान 25 हजार मासिक पेंशन दी जा रही है.

असगर खान को नहीं मिली कोई सरकारी मदद

97 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी असगर खान का कहना है कि उन्हें सरकार से पेंशन के अलावा और किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि वह आज तक सरकार के पास किसी भी मदद के लिए गए भी नहीं है. कभी 2 सैकड़ा से अधिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जिले में हुआ करते थे, लेकिन आज समय के गुजरते गुजरते महज 7 लोग ही अब जीवित रह गए हैं.

जो वर्तमान में जीवित हैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी

उनमें राम कुमार पाठक दत्त पुरा मुरैना, असगर खान गणेशपुरा मुरैना, टीकाराम शर्मा ग्राम जिगनी मुरैना, संतोषी लाल जैन पंचायती धर्मशाला मुरैना, गुलजारीलाल जैन सीताराम शर्मा वाली गली मुरैना, दर्शन लाल गोयल सदर बाजार जोरा और सीताराम वर्मा तमोली गली तहसील जोरा शामिल हैं.

Last Updated : Aug 15, 2020, 10:57 AM IST

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