मुरैना। भारतीय सेना के जाबांजों की वीरता की कहानी चंबल की माटी में इस कदर समाई है कि उसके सपूतों की वीरता और साहस के चलते न केवल सेना में इसका कद ऊंचा है, बल्कि चंबल की भूमि को वीरों की धरती भी कहा जाता है. भारतीय सेना के जवान रवि रघुवीर सिंह के नाम से चाइना की सीमा पर न केवल सैनिक पोस्ट बनाई गई है, बल्कि रघुवीर सिंह के नाम से चाइना में एक सड़क और एक गांव भी बसाया गया है.
चंबल के इस वीर सपूत से चीन भी है प्रभावित हिंदुस्तान पाकिस्तान के साथ 1971 में हुए युद्ध की वर्षगांठ मना रहा है. उन सैनिकों और शहीदों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है, जिन्होंने चीन के खिलाफ युद्ध में अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया था, चंबल अंचल के मुरैना जिले के गलेथा गांल के वीर सपूत रघुवीर सिंह ने 1965 में चाइना के खिलाफ युद्ध के दौरान अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया था.
पूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह पवार ने बताया कि 1965 के युद्ध में गलेथा गांव निवासी रघुवीर सिंह का पराक्रम देख चाइना भी मुरीद हो गया था. उन्होंने बताया कि जब युद्ध के समय उनका गोला-बारूद खत्म हो गया और चीनी सैनिक उनके सामने थे, तब उन्हें न केवल अपनी जान बचानी थी, बल्कि दुश्मनों को परास्त भी करना था, ऐसे में उन्होंने दुश्मन खेमे के ही एक सैनिक को ढाल बनाया और उसी को हथियार बनाकर चीनी सैनिकों को पराजित कर उस पोस्ट पर कब्जा कर लिया.
रघुवीर सिंह की वीरता और साहस से न केवल भारतीय सेना बल्कि चाइना भी प्रभावित हुआ. इसी के चलते चाइना में मुरैना के वीर सपूत रघुवीर सिंह के नाम से एक सैनिक पोस्ट, एक सड़क और एक गांव बसाया गया है, ताकि उनकी वीरता से चाइना के सैनिक भी प्रेरित होते रहें. वीर प्रसूता चंबल की माटी को किसी प्रमाण की जरूरत नहीं है, बल्कि इतिहास इसका साक्षी है कि आजादी से पूर्व की लड़ाई हो या आजादी के बाद की, भारत के वीर सपूतों ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
मुरैना जिले में मौजूदा समय में 19 पूर्व सैनिक हैं, जो पड़ोसी मुल्कों के साथ हुए युद्ध के गवाह रहे हैं. पूर्व सैनिकों के साथ ही शहीदों के परिजनों को भी सम्मानित किया गया है. अकेले मुरैना जिले से हजारों सैनिक देश की सेवा कर चुके हैं, जबकि अब भी हजारों सैनिक देश की सीमा की निगहबानी कर रहे हैं. जिनमें जल, थल और वायु सेना के अलावा अर्धसैनिक बलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.