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मजाक बना एमपी सरकार का दस्तक अभियान, जिला अस्पताल में भटकते रहे ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए गए बच्चे - morena news

बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए चलाए गए एक माह के दस्तक अभियान के तहत चिन्हित बच्चों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए जिला अस्पताल भेजा गया. जिला अस्पताल पहुंचे बच्चे और उनके परिजनों को ब्लड चढ़वाने के लिए घंटों इधर-उधर भटकना पड़ा.

मजाक बना एमपी सरकार का दस्तक अभियान

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Published : Jul 31, 2019, 9:42 PM IST

मुरैना| प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए चलाए गए एक माह के दस्तक अभियान के तहत चिन्हित बच्चों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए जिला अस्पताल भेजा गया. जिला अस्पताल पहुंचे बच्चे और उनके परिजनों को ब्लड चढ़वाने के लिए घंटों इधर-उधर भटकना पड़ा और कुछ बच्चों को तो बिना ब्लड चढ़बाए ही वापस लौटना पड़ा. दस्तक अभियान के तहत दी गई गाइडलाइन के हिसाब से आठ ग्राम से अधिक हीमोग्लोबिन की कमी होने पर ब्लड चढाया जाना था, लेकिन जिला चिकित्सालय के जिम्मेवार लोग इस बात से सहमत नहीं थे और उन्होंने सात ग्राम से कम हीमोग्लोबिन वाले बच्चों को ब्लड चढ़ाने का निर्णय अपने हिसाब से लिया. इस कारण कई बच्चों और उनके परिजनों को बेवजह परेशान होना पड़ा.

मजाक बना एमपी सरकार का दस्तक अभियान

प्रदेश सरकार के निर्देशों पर स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से दस्तक अभियान चलाया गया था. अभियान के तहत कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उनका उपचार किया जाना था. आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जौरा से चिन्हित किए गए कुपोषित बच्चों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए जिला अस्पताल भेजा गया. इन बच्चों को अभियान के तहत दी गई गाइडलाइन के अनुसार ब्लड चढ़ाया जाना था, ताकि उनका कुपोषण दूर हो सके. हॉस्पिटल भेजे जाने से पहले इन बच्चों का प्रयोगशाला में रक्त परीक्षण भी कराया गया. परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर्स ने बच्चों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए मुरैना भेजा था.

ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए आए नौनिहालों को सरकारी हॉस्पिटल में घंटों इधर उधर भटकना पड़ा. बच्चों के परिजनों द्वारा इस संबंध में अधिकारियों से भी बातचीत की गई तो वहां अभियान की गाइडलाइन का हवाला देकर उन्हें बताया गया कि वो सात ग्राम से कम हीमोग्लोबिन वाले बच्चों को ही ब्लड चढाएंगे.

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