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500 साल पुराना दाऊजी मंदिर, जहां हर साल द्वारका से आते हैं बांकेबिहारी

मुरैना जिले के मुरैना गांव में 500 साल पुराना श्रीकृष्ण मंदिर है जो कि दाऊजी मंदिर के नाम से जाना जाता है.माना जाता है कि यहां स्वयं द्वारिकाधीश ढाई दिन के लिए द्वारिका से पधारते हैं. मंदिर के बारे में जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 11, 2020, 6:56 PM IST

Dauji temple
श्रीकृष्ण का दाऊजी मंदिर

मुरैना। देशभर में आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. भगवान श्री कृष्ण की जीवन लीला से जुड़े कई धर्म ग्रंथों में पाया जाता है कि हमेशा से कृष्ण भक्तों के अधीन रहे हैं. कभी भक्तों के साथ वो रासलीला में झूमते नजर आए हैं तो कभी भक्तों के लिए चम्तकार करते. भगवान कृष्ण का ऐसा ही एक उदाहरण मुरैना में आज भी मौजूद है, जहां द्वारिकाधीश श्री कृष्ण अपने भक्त गोपाराम स्वामी उर्फ दाऊ के नाम से पूजे जाते हैं. यही कारण है कि मुरैना में 500 साल पुराना श्रीकृष्ण मंदिर दाऊजी मंदिर के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि यहां स्वयं द्वारिकाधीश ढाई दिन के लिए द्वारिका से पधारते हैं.

श्रीकृष्ण का दाऊजी मंदिर
ये है किवदंतीदाऊजी मंदिर के महंत लज्जाराम स्वामी बताते हैं कि मुरैना गांव के स्वामी परिवार में जन्में गोपाराम स्वामी नाम के व्यक्ति भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे. गोपीराम स्वामी अपने भाईयों में सबसे बड़े थे, इसलिए उन्हें उनके सभी छोटे भाई दाऊ कहकर पुकारते थे. एक बार दाऊ भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए द्वारिकापुरी गए, जहां उन्होंने भगवान के साक्षात दर्शन किए. इस दौरान दाऊ ने भगवान से प्रार्थना की कि प्रभु आपका धाम द्वारिका मुरैना से बहुत दूर है, इसलिए आप मुरैना पधारो.

अपने भक्त की अभिलाषा पूरी करने के लिए भगवान ने कहा कि चिंता मत करो, मैं आपके मुरैना भी आऊंगा. हर साल दीपावली की पड़वा से लेकर चतुर्थी की दोपहर तक साढ़े तीन दिन के लिए द्वारकाधीश भगवान मुरैना गांव पधार कर दाऊ मंदिर में विराजते हैं. साथ ही भगवान ने उन्हें वरदान भी दिया कि मुरैना गांव में आज के बाद मैं तुम्हारे नाम से ही जाना और पहचाना जाऊंगा. आने वाले भविष्य में लोग तुम्हारे नाम से ही मेरी पूजा करेंगे. इसके बाद से ही भगवान द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण की पूजा मुरैना गांव में दाऊजी मंदिर के नाम से होती है.

500 साल पुराना है मंदिर

मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर लगभग 500 साल प्राचीन है. इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की ग्वाला रूप में जो प्रतिमा विराजमान है, वह उनके भक्त गोपाराम स्वामी उर्फ दाऊ द्वारा अपने ईष्ट की आराधना के लिए स्थापित की थी. बढ़ते समय के साथ मंदिर के स्वरूप में थोड़ा-बहुत परिवर्तन हुआ है, लेकिन भगवान श्री कृष्ण का मूर्ति आज भी ज्यों की त्यों है.

साढे़ं तीन दिन में भगवान श्रीकृष्ण करते हैं सभी लीलाएं
दाऊजी मंदिर के महंत लज्जाराम स्वामी बताते हैं कि दीपावाली के अवसर में जब द्वारकाधीश यहां पधराते हैं तो वो सभी लीलाएं यहां भी साढ़ें तीन दिन में करते हैं. जो भी लीलाएं उनकी मथुरा और वृंदावन में गोवर्धन और पूरे बृज में चर्चित हैं, उन सभी का आनंद वे यहां भी लेते हैं.

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जानकारी के मुताबिक मुरैना क्षेत्र तत्कालीन समय में ब्रज क्षेत्र का ही हिस्सा हुआ करता था और यहां वर्तमान में भिंड और मुरैना जिले की सीमा के नजदीक गोहद तहसील है जो तात्कालीन समय में भगवान कृष्ण की गायों को चराने की हद होती थी, इसीलिए इसका नाम गोहद है. वहीं मुरैना गांव के नाम पर ही धीरे-धीरे मुरैना शहर विकसित हुआ और उसका नाम सिंधिया रियासत के समय मुरैना पड़ गया.

दीपावली पर पांच दिन का मेला
मुरैना अंचल में भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों में सबसे ज्यादा प्राचीन और धार्मिक महत्व का मंदिर मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर का है. यहां पूरे अंचल से श्रीकृष्ण भक्त पूर्णिमा के दिन भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं. साथ ही कृष्ण जन्माष्टमी और नवमी को नंद महोत्सव के समय हजारों लोग मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर जा कर भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करते हैं. इसी तरह दीपावली के अवसर पर यहां पांच दिन का बड़ा मेला लगता है, जिसमें लाखों लाखों लोग द्वारिकाधीश की लीलाओं का आनंद लेते हुए दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं.

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