मुरैना। खादी एवं ग्रामोद्योग द्वारा संचालित महात्मा गांधी सेवा आश्रम चौराहा में खादी बनाने वाले 1000 लोगों को रोजगार मिलता है. गांधीजी के आत्मनिर्भर भारत की विचारधारा पर संचालित आश्रम के द्वारा निर्मित खादी जो कभी गांधी के विचारों को मानने वाले लोगों तक सीमित थी. आज कई लोगों की पसंद बनती जा रही है.
मुरैना में खादी एवं ग्रामोद्योग के सहयोग से संचालित दुकान का कारोबार 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया है. सूती कपड़ा पहनना अथवा खादी के कपड़े उपयोग करने वालों को या तो केवल गांधी के निवाई के रूप में माना जाता था, या फिर वह गरीब तबके का व्यक्ति समझा जाता था. लेकिन धीरे-धीरे खादी में आए बदलाव के चलते लोगों में खादी का क्रेज बढ़ गया है.
खादी के सूत से कपड़ा बनाते कर्मी एक करोड़ से ज्यादा का हुआ कारोबार
यही कारण है कि मुरैना में एकमात्र खादी की दुकान जिसे महात्मा गांधी सेवा आश्रम जोरा द्वारा संचालित किया जाता है. उसका वित्तीय साल में एक करोड़ से ज्यादा का कारोबार करती है. जो यह बताती है कि खादी आम लोगों की पहुंच तक है.एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक एवं गांधी सेवा आश्रम के प्रबंधन समिति के सदस्य रन सिंह परमार का कहना है कि आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए गांधी के विचारों पर अमल करना जरूरी है. मुरैना की तरह खादी का यह काम अगर जिले के गांव से बाहर निकल कर गांव-गांव तक जाए तो लोगों को बाहर रोजगार के लिए पलायन करने की आवश्यकता नहीं होगी.
कितना बढ़ा व्यवसाय
- 2010 में बढ़कर 15 से 17 लाख का हुआ व्यवसाय
- 2015 से बढ़कर 28-30 लाख का हुआ व्यवसाय
- इस साल 1 करोड़ पहुंचा कारोबार
नई पीढ़ी को पंसद आ रहा खादी
वहीं खादी भंडार की दुकान संचालित करने वाले कमल गुप्ता का मानना है कि आज लोगों का रुझान खादी की तरफ बढ़ा है. हम लोगों को कई क्वालिटी में प्रतिस्पर्धी और गुणवत्तापूर्ण खादी उपलब्ध कराने के लिए न केवल गांधी आश्रम जौरा में बनने वाले कपड़े बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में बनाई जाने वाली खादी को लाकर लोगों को उपलब्ध कराते हैं. जिससे लोग खासतौर पर नई पीढ़ी के लोग अब खादी को अपनी पहली पसंद मानते हैं.