मंदसौर। खेती किसानी के मामले में सोना उगलने वाली जमीन और प्राकृतिक संपदा से भरपूर मंदसौर जिला, पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी काफी ऐतिहासिक स्थान है. इतिहास के मुताबिक इस जिले की सभ्यता, मानव जीवन से भरपूर जुड़ी होने के प्रमाण यहां मौजूद हैं. राजस्थान की सीमा से जुड़े इस जिले में पुरातात्विक महत्व की कई धरोहरें मौजूद हैं. सैकड़ों साल पुरानी इन धरोहरों में मंदसौर के सौंधनी स्थित कीर्ति स्तंभ भी एक ऐसा ही स्थान है. जो 1600 साल पुराने इतिहास में यहां के शासन काल की गाथा बयान करती है.
ओलिकर सम्राट राजा यशोधर्मन ने हुणों पर विजय के बाद इस स्तंभ को विजय स्मारक के तौर पर स्थापित किया था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का यह स्मारक देश का पुराकालीन एक अकेला ऐसा स्थान है, जो पुरातन राज व्यवस्था में जीत की निशानी के तौर पर माना जाता है.
मंदसौर जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर सौंधनी नाम के इलाके में मौजूद कीर्ति स्तंभ छठी शताब्दी का ऐतिहासिक स्मारक है. मंदसौर के तत्कालीन शासक ओलिकर सम्राट महाराजा यशोधर्मन ने हुणों की सेना पर विजय के बाद इसे स्थापित किया था. प्राचीनकाल में हूंण जाति के शासक अविभाजित भारत के उत्तरी हिस्से को अपना राज्य बनाने के लिए कई राजाओं पर आक्रमण कर रहे थे.
इसी दौरान उत्तरी इलाकों को जीतकर वे मंदसौर पर आक्रमण करने पहुंच गए थे. तब इस जिले का नाम दशपुर नगर था. लेकिन यहां के ओलीकर सम्राट ने अपने लोगों को संगठित कर हुणों के सम्राट मिहिरकुल को परास्त कर दिया था. उनकी सेना को हराने के बाद राजा यशोधर्मन ने 40 फीट ऊंची पत्थर की इस लाट को बनवाकर उसे कीर्ति स्तंभ के तौर पर स्थापित किया.
यहां दो स्तंभ खड़े किए गए थे. लेकिन कालांतर में दोनों स्तंभ टूट कर नीचे गिर गए. जिसमें से एक स्तंभ को पुरातात्विक विभाग ने 2004 में वापस इस स्थान पर खड़ा किया है. स्तंभों के ऊपरी हिस्से पर सिंह की आकृति और नीचे के हिस्से में एक घंटी नुमा आकृति है. इस स्तंभ पर संस्कृत भाषा और ब्राम्ही लिपि में विजय गाथा भी हुई है. जिस स्थान पर यह स्तम्भ खड़े हैं, यहां उस काल की विजय उत्सव मनाती महिलाओं की मूर्तियां भी मौजूद हैं.