मंदसौर। इस साल की गर्मी में लोग गन्ने का जूस पीने को तरस रहे हैं. हर साल जहां गन्ना उत्पादक ट्रक भरकर अपनी फसलों को भेजते थे. वहीं वे आज अपनी उसी फसल को काटकर मवेशियों को खिलाने के लिए मजबूर हैं. देशभर में कोरोना वायरस से बचाव के लिए किए लॉकडाउन ने सबकी कमर तोड़ कर रख दी है. गर्मी में तरावट देने वाले गन्ने के जूस की सभी दुकानें बंद पड़ी हैं. वहीं दूसरी ओर गन्ना उत्पादक किसानों का गन्ना भी बिक्री के अभाव में बेकार हो गया है और मानसून की आमद के चलते घाटा खाने वाले किसान अब बेशकीमती फसल गन्ने को काटकर या तो मवेशियों को खिला रहे हैं या खेतों में फेंकने को मजबूर हैं.
ये भी पढ़ें-आपदा, लॉकडाउन और रेत माफिया का इन किसानों पर कहर, अब तो दो वक्त की रोटी का भी संकट
कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन के कारण एक तरफ जहां आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, वहीं दूसरी तरफ अब छोटे और मझोले दर्जे के अलावा बड़े कारोबारियों का कारोबार भी दिनों-दिन चौपट होने लगा है. लगातार लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा वे कारोबार चपेट में आए हैं, जो एक-दूसरे की कड़ियों से जुड़े हुए हैं. लगातार दो महीनों से लागू कर्फ्यू के कारण गर्मी के सीजन में तरावट देने वाले गन्ने के जूस की सभी दुकानें भी इन दिनों बंद पड़ी हैं. वहीं, दूसरी तरफ मंदसौर में गन्ना किसान बिक्री के अभाव में बेकार हो गया है और मानसून की आमद के चलते घाटा खाने वाले किसान अब बेशकीमती फसल को काटकर मवेशियों को खिलाने और खेतों की पर फेंकने को मजबूर है.
लॉकडाउन के कारण बंद हुई बिक्री
गन्ना उत्पादन के मामले में मंदसौर जिले के सबसे बड़े किसान चिमन सिंह के खेतों में इन दिनों 70 एकड़ एरिया में फसल खड़ी है. चिमन सिंह हर साल मंदसौर, नीमच, रतलाम समेत कई जिलों में गन्ने के जूस की बिक्री करने वाले दुकानदारों को हजारों क्विंटल गन्ना बेचने का काम करता रहा है. फरवरी से जुलाई तक लगातार 6 महीने तक बिकने वाले गन्ने की फसल इस बार लॉकडाउन के कारण बिल्कुल नहीं बिक पाई है. इलाके की तमाम गन्ना जूस की दुकान भी इन दिनों बंद पड़ी हैं. वहीं बिक्री के अभाव में चिमन सिंह को करोड़ों रुपए की इस फसल को काटकर अब फेंकना पड़ रहा है.
फसल काटकर खेतों में फेंक रहे