मंदसौर।ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के लिहाज से राजस्थान का सीमावर्ती जिला मंदसौर, इतिहास के नक्शे में काफी अहम स्थान पर मौजूद हैं. इस जिले में एक तरफ सदियों पुरानी बौद्ध गुफाएं और पाषाण के कप मार्क्स मौजूद हैं. वहीं दूसरी तरफ जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर खिलचीपुरा में 1000 साल पुराना सूर्य मंदिर भी मौजूद है, प्राचीन इतिहास के मुताबिक इस धरोहर ने ही देश का पहला विज्ञापन स्थापित किया गया था, जो रेशम उद्योग में पटवा वंशजों की चीन को एक चुनौती के रूप में देखा जाता है.
मंदिर में हैं पहले विज्ञापन की प्रशस्ति
मंदसौर यानी पूर्व के दशपुर नामक शहर के खिलचीपुरा स्थित, सूर्य मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां प्रतिमा के साथ मुख्य दीवार पर एक शिलालेख की प्रशस्ति भी लगाई गई थी, प्रशस्ति के शिलालेख में ब्राह्मी लिपि में देश के रेशम के वस्त्रों के निर्माण और उसके व्यवसायिक प्रचार प्रसार का वर्णन मौजूद है. शिलालेख के श्लोकों के मुताबिक यदि कोई विवाहित स्त्री इस समुदाय द्वारा बनाए गए रेशमी वस्त्रों का जोड़ा धारण नहीं करती तो वह पति के मिलन से वंचित रहती है.
गुप्तकालीन है मंदिर
खिलचीपुरा में स्थित में 10वीं सदी की यह प्राचीन सूर्य मंदिर को गुप्तकालीन ओलिकर पटवा वंशजों ने बनवाया था. माना जाता है कि इस काल में भगवान सूर्य को शिव के समान पूजा जाता था, लिहाजा व्यापार व्यवसाय और शासक वर्ग से जुड़ी कौम के पटवा वंशजों ने तीज त्योहार पर उनकी पूजा करने के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था. इस मंदिर के मुख्य द्वार पर पाकिस्तान के मुल्तान और कोणार्क के सूर्य मंदिर की तर्ज पर सूर्य की प्रतिकृति मौजूद है.