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अल्प वर्षा से खरीफ की फसल बर्बाद, अन्नदाता ने सरकार से लगाई मदद की गुहार - एक तिहाई बरसात

मंदसौर जिले में इस साल सामान्य से एक तिहाई बरसात कम होने के चलते फसल उत्पादन में काफी कमी आई है. इन दिनों फसलों की कटाई हो रही है, किसानों का कहना है कि इस साल लागत मूल्य का पैसा भी नहीं निकल पा रहा है, पढ़िए पूरी खबर...

Soybean crop production affected
सोयाबीन फसल का उत्पादन प्रभावित

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Published : Nov 1, 2020, 6:52 AM IST

मंदसौर। प्रदेश में मालवा इलाके के किसान इस साल फिर मौसम की मार झेल रहे हैं. मंदसौर जिले में इस साल सामान्य से एक तिहाई बरसात कम होने के कारण फसल उत्पादन खासा प्रभावित हुआ है. इन दिनों फसल कटाई का आखरी दौर चल रहा है, किसानों को लागत मूल्य के बराबर भी फसल की कीमत नहीं मिल पा रही है. लगातार दो सालों से फसलों की पैदावार में आई कमी के चलते किसान आर्थिक संटक से जूझ रहे हैं, किसानों ने अब सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

खरीफ फसल हुई चौपट

इस साल बारिश ने किसानों को फिर किया मायूस

इस साल भी करीब 1 लाख 85 हजार हेक्टर जमीन में सोयाबीन फसल की बुवाई हुई थी, दो चरणों में आए मानसून में यहां के किसानों ने 15 दिनों के भीतर अलग-अलग समय पर दो बार फसल की बुवाई की थी. यही वजह है कि इस साल यहां फसल की कटाई का दौर लंबा चल रहा है. पूरे मानसून सीजन में इस साल यहां केवल 23 इंच बरसात हुई है. ऐसे में पौधों में दाने भी नहीं भर पाए हैं, जिससे उत्पादन आधे से भी कम मिल रहा है. यही नहीं कई खेतों में पीला मोजेक नामक बीमारी का भी अटैक हुआ, जिससे फसलें बर्बाद हो गईं.

सोयाबीन फसल का उत्पादन प्रभावित

सरकार से लगाई मदद की गुहार

फसलों से लागत मूल्य के बराबर भी उत्पादन न मिलने से किसान बर्बादी के कगार पर है. किसानों का कहना है कि पिछले साल बारिश और बाढ़ के कारण उनकी फसलें चौपट हो गई थी, और इस साल अल्प वर्षा से उत्पादन में भारी कमी है. संकट के इस दौर में उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

फसल की कटाई करते ग्रामीण

फसल उत्पादन प्रभावित

इस साल फसल उत्पादन प्रभावित होने की बात, कृषि विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं . कृषि विभाग के उपसंचालक के मुताबिक पूरे मानसून सीजन में इस बार यहां 27 प्रतिशत बरसात कम हुई है. लिहाजा फसलों का उत्पादन कम हुआ है, उप संचालक डॉ अजीत सिंह राठौर ने बताया कि फसल कटाई के सर्वे के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में इस बार 8 क्विंंटल से लेकर 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होने के आंकड़े सामने आए हैं. लिहाजा यह हालात सरकारी सर्वे के मुताबिक मुआवजा वितरण के दायरे से बाहर है.

न मुआवजा, न उत्पादन, करें तो क्या करें

मुआवजे के दायरे से बाहर होने के बाद किसानों ने अपनी कड़ी आपत्ति जताई है, किसानों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी हर एक गांव से केवल एक खेत में औसत उत्पादन का नमूना लिया जा रहा है, जबकि पूरे गांव में कई तरह की मिट्टी के खेत होने से उत्पादन भी अलग-अलग होने की बातें सामने आ रही हैं. उन्होंने इस हालात में दोबारा सर्वे करके मुआवजा देने की बात मांग उठाई है.लिहाजा मानसून से फसलों का उत्पादन खासा प्रभावित हो रहा है, और किसानों का कारोबार यहां घाटे का धंधा साबित होने लगा है, लगातार दूसरे साल भी फसलों की बर्बादी के चलते किसान बर्बादी की कगार पर हैं, ऐसे में किसानों ने सरकार से मदद मांगी है.

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