मंदसौर। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में जहां एक ओर लोग परेशान हैं. वहीं दूसरी ओर देश की आबोहवा बदल रही है. लॉकडाउन की वजह से घरों में कैद है, ऐसे में हर तरह के प्रदूषण में खासी कमी आई है. वायु प्रदूषण के अलावा जल प्रदूषण की में भी कमी आई है. मध्यप्रदेश की मालवा इलाके की जीवनदायिनी कही जाने वाली शिवना नदी लॉकडाउन के दौरान शीशे की तरह चमकने लगी है. पानी साफ होने से नदी में अपने आप मछलियां भी पनपने लगी हैं.
लॉकडाउन में साफ हुई शिवना नदी शिवना नदी की हालत सुधरी
राजस्थान के दक्षिणी इलाके से निकली शिवना नदी, मंदसौर और प्रतापगढ़ जिलों की जीवन दाई नदी कही जाती है. करीब सवा सौ किलोमीटर लंबी इस नदी के दोनों किनारों पर 34 गांव बसे हुए है. मंदसौर शहर के दक्षिणी छोर और पशुपतिनाथ मंदिर के किनारे बहने वाली इस नदी का पानी इतना साफ हो गया है कि शीशे की तरह चमकने लगा है.
लोगों का कहना है कि पिछले कई सालों से शिवना नदी लगातार प्रदूषण की शिकार होती रही है. शहरवासियों ने इस में तरह-तरह के कचरे भी फेंके और दूसरी तरफ शासन प्रशासन की अनदेखी से शहर की गंदी नालियों और फैक्टरी का गंदा पानी भी इसमें मिलता रहा. नतीजतन नदी के पानी में सल्फर और अम्लीय पदार्थों की मात्रा इतनी बढ़ गई कि इसमें हर साल जल कुंभी की चादर जमने लगी थी.
विधायक ने की नदी को साफ रखने की अपील
गर्मी के मौसम में पशुपतिनाथ मंदिर के तीनों घाट और मुक्तिधाम इलाके तक नदी में जल कुंभी की चादर जमी नजर आती थी, लेकिन इस बार इस नदी का पानी इतना साफ है कि इसमें मछलियां भी पनपने गई है. आमतौर पर नदी के प्रदूषित जल की बदबू के कारण इससे दूर रहने वाले श्रद्धालु अब इसके जल से आचमन भी करने लगे हैं. समाज सेवकों और मंदिर पर दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं ने जनता से इसकी पवित्रता बनाए रखने की अपील की है.
124 किलोमीटर लंबी यह नदी राजस्थान से शुरु होकर चंबल नदी में जाकर मिल जाती है. इसके प्रदूषण निवारण को लेकर विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने मंसूर दौरे पर आए सीएम शिवराज सिंह चौहान से 18 करोड़ रुपए के एक प्रोजेक्ट को पेश कर प्रदूषण निवारण कि एक योजना की स्वीकृति भी करवाई थी.
इस साल नगर पालिका परिषद के जरिए इस पर काम शुरु भी होने वाला था. इसी दौरान लॉकडाउन से इसके प्राकृतिक तरीके से साफ होने पर उन्होंने भी खुशी जताते हुए इलाके के लोगों से इसे स्वच्छ बनाए रखने में सहयोग देने की अपील की है. वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने भी इसमें प्रदूषित वस्तुए और फैक्ट्रियों का दूषित जल ना मिलने से इसके अपने आप शुद्ध होने की बात की पुष्टि की है. लंबे अरसे बाद शुद्ध हुई नदी के साफ पानी का नजारा अब काफी लुभावना नजर आ रहा है.