मंदसौर।21 साल पहले 26 जुलाई 1999 के दिन जम्मू-कश्मीर में भारत-पाक सीमा पर हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटाकर युद्ध जीत लिया था. इस युद्ध में मंदसौर के सैनिकों का भी बड़ा योगदान रहा. इन्हीं सैनिकों में शामिल थे मंदसौर के दशरथ सिंह गुर्जर, जिन्होंने कारगिल युद्ध में रॉकेट लॉन्चर की जिम्मेदारी संभालते हुए विपक्षी सेना के दांत खट्टे कर दिए थे. मालवा के वीर सिपाही दशरथ सिंह गुर्जर ने 40 दिन तक चले इस युद्ध में चार दिन तक भूखे- प्यासे रहकर पाकिस्तानी सेना पर लगातार हमला करते रहे. मंदसौर के छोटे से गांव गुर्जर बढ़िया में रहने वाले रिटार्यड सैनिक दशरथ सिंह गुर्जर ने बताया कि, जब वो हाई स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे, इस दौरान महू की बटालियन से मंदसौर आए एक कर्नल के लेक्चर से वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने सैनिक बनने की ठान ली. जिसके बाद कड़ी मेहनत से 1994 में राजपूत रेजीमेंट में सैनिक चुने गए.
दशरथ ने निभाई रॉकेट लॉन्चर की जिम्मेदारी
दशरथ ने बाताया कि, 15 साल की सेना की नौकरी में उन्होंने साढे़ 12 साल जम्मू-कश्मीर सीमा पर चुनौतीपूर्ण ड्यूटी की. इस दौरान 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान 40 दिन तक चले युद्ध में उनके ग्रुप को सीमा पर लड़ाई के आदेश हुए. 10-10 सैनिकों के ग्रुप में दशरथ सिंह को रॉकेट लॉन्चर की जिम्मेदारी दी गई थी. कड़ाके की सर्दी में भी दिन-रात दशरथ और उनके साथी दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे थे. निशानेबाजी में माहिर इस सैनिक ने रॉकेट लॉन्चिंग से ही विपक्षी सेना के कई जवानों के चिथड़े उड़ा कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया. शुरुआती दौर से ही दशरथ दुश्मन की सेना के तगड़े हमलों को मात देने के लिए मैदान में डटे रहे. इस दौरान उन्हें चार दिनों तक भूखे प्यासे रहकर लगातार युद्ध लड़ना पड़ा.