मंदसौर। शिवना नदी के किनारे विराजमान भगवान पशुपतिनाथ का अष्टमुखी रूप पूरी दुनिया में अनोखा, अलग और इकलौता है, जहां पूरे साल भक्तों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन महाशिवरात्रि पर भक्त अल सुबह से ही भगवान पशुपतिनाथ पर जलाभिषेक करने की अपनी बारी का इंतजार करते हैं क्योंकि महाशिवरात्रि पर पूरे दिन भक्तों का तांता लगा रहता है.
इस शिवलिंग में मौजूद भगवान पशुपतिनाथ की अष्ठमुखी प्रतिमा में श्रद्धालुओं को जीवन के चार पड़ाव दिखाई देते हैं. पूर्व दिशा में बाल्यकाल, दक्षिण में युवावस्था, पश्चिम में प्रौढ़ावस्था और उत्तर में वृद्धावस्था जैसी भाव भंगिमाओं को दर्शाने वाली ये प्रतिमा महाशिवरात्रि पर विशेष सिंगार के बाद और मनमोहक हो जाती है.
ऐतिहासिक महत्व
पशुपतिनाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व भी है, बताया जाता है कि महाकवि कालीदास ने अपने ग्रंथों के मंगलाचरण में अष्टमुखी शिव का जिक्र किया है. लिहाजा माना जाता है कि ये प्रतिमा 2000 साल पुरानी है और इतिहास के स्वर्णकाल माने जाने वाले गुप्त साम्राज्य से ताल्लुक रखती है.