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MP Seat Scan Suwasra: सुवासरा सीट का मिला-जुला मिजाज, तख्तापलट के बाद उपचुनाव में जीती थी BJP, असली परीक्षा इस बार

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट पर बीजेपी का दबदबा है. 14 में से 9 चुनाव बीजेपी जीती है. कांग्रेस भी इस सीट पर कई बार जीत हासिल की है. साल 2018 में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, लेकिन उपचुनाव में यह सीट बीजेपी के पाले में चली गई.

MP Seat Scan Suwasra
एमपी सीट स्कैन सुवासरा

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 6, 2023, 5:28 PM IST

मंदसौर। विधानसभा चुनाव को देखते हुए नेता अपनी-अपनी चुनावी तैयारियों में जुटे हैं. मध्यप्रदेश की मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा से एक बार फिर मंत्री हरदीप सिंह डंग दावेदारी कर रहे हैं. प्रदेश में तख्तापलट के समय कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग सबसे पहले इस्तीफा देने वालों में से थे. उपचुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर जीतकर आए और अभी शिवराज सरकार में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के मंत्री हैं. सुवासरा विधानसभा सीट पर मतदाताओं का मिजाज मिला-जुला रहा है, यहां कभी बीजेपी जीतती रही, तो कभी कांग्रेस. उपचुनाव में बीजेपी से हरदीप सिंह डंग भले ही 29 हजार से ज्यादा वोटों से जीते हों, लेकिन असली अग्नि परीक्षा पार्टी की इस बार होगी. इस बार चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है.

सुवासरा सीट के मतदाता

कभी बीजेपी, तो कभी कांग्रेस का रहा कब्जा: सुवासरा विधानसभा सीट 1962 में अस्तित्व में आई थी. इसके बाद से इस सीट पर 14 चुनाव हो चुके हैं. इसमें से 9 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, जबकि 5 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज करने में कामयाबी पाई है. 1998 के बाद कांग्रेस के हिस्से में यह सीट 2013 में आई थी, तब इस सीट से कांग्रेस के हरदीप सिंह डंग जीतकर आए. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा, लेकिन कमलनाथ की सरकार में सिख समुदाय से आने और दो बार के विधायक होने के बाद भी मंत्री न बनाए जाने से नाराज होकर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, बाद में सिंधिया समर्थकों के पार्टी छोड़ने से सरकार गिर गई. 2003 तक यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है. इस कारण मौजूदा वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा इस सीट से चुनाव लड़ते रहे. वे तीन बार इस सीट से विधायक चुने गए.

सुवासरा सीट का रिपोर्ट कार्ड

पहले ससुर, फिर बहू जीती चुनाव:वैसे इसके पहले इस सीट पर कांग्रेस से ससुर और बहू दोनों जीतकर विधायक बने. ससुर रामगोपाल भारतीय 1972 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने, जबकि बहू पुष्पा भारतीय 1998 में कांग्रेस के ही टिकट पर जीती, लेकिन पिता-पुत्र की जोड़ी विधायक बनने में पिछड़ गई. कांग्रेस के आशाराम वर्मा 1985 में विधायक का चुनाव जीते, लेकिन उनके बेटे गिरीश वर्मा चुनाव में जीत दर्ज नहीं कर सके. हमेशा उज्जैन से चुनाव लड़ते रहे सत्यनारायण जटिया भी एक बार इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उनके हिस्से जीत नहीं आई थी. जातिगत समीकरण की बात करें तो इस सीट पर पाटीदार, पोरवाल और राजपूत मतदाताओं का अच्छा प्रभाव है. यहां सोंधिया राजपूत मतदाताओं की संख्या 14 हजार, पोरवाल के करीब 16 हजार और राजपूत समाज के 16 हजार, पाटीदार समाज के 20 हजार और एससी वर्ग के करीब 60 हजार वोटर्स हैं.

सुवासरा का जातीय समीकरण

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें....

साल 2018 का रिजल्ट

यह कर रहे दावेदारी: सुवासरा सीट से तीन बार (दो बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी ) के विधायक हरदीप सिंह डंग की दावेदारी बीजेपी से सबसे मजबूत मानी जा रही है. हालांकि पूर्व में चुनाव मैदान में उतर चुके राधेश्याम पाटीदार, प्रियंका गिरी गोस्वामी और अंशुल बैरागी भी टिकट की रेस में हैं. उधर कांग्रेस के राकेश पाटीदार और ओम सिंह भाटी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.

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