मंदसौर।समाज सेवा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथों मंदसौर का "गौरव सम्मान" हासिल करने वाली एक समाज सेविका आज अपने ही स्टाफ के लोगों की प्रताड़ना की शिकार हो गईं हैं. निराश्रित लोगों के पुनर्वास के क्षेत्र में पिछले 14 साल से लगातार अपना योगदान देने वाली अनामिका जैन को आज निराश्रित वृद्धाश्रम, वात्सल्यधाम के कर्ताधर्ताओं ने ही बाहर निकाल कर मेन गेट पर ताले लगा दिए. समाज सेविका काफी देर तक अंदर जाने के लिए गुहार लगाती रही इसके बावजूद स्टाफ के लोगों ने वृद्धाश्रम के दोनों गेट का ताला नहीं खोला. लिहाजा शारीरिक रूप से दिव्यांग इस समाज सेविका को चिलचिलाती धूप में 2 घंटे सड़क पर ही बिताने पड़े. इस मामले की खबर मिलने के बाद शहर के समाज सेवक मौके पर पहुंचे और स्टाफ को फटकार लगाने के बाद वे आश्रम में दाखिल हुईं.
वृद्धाश्रम का गेट बंद कर समाजसेविका को रखा बाहर:मंदसौर जिले के गांव संजीत की रहने वाली अनामिका जैन पिछले 14 सालों से निराश्रित लोगों के पुनर्वास के क्षेत्र में लगातार काम कर रहीं हैं. अनामिका जैन अभी तक करीब 42 लोगों का पुनर्वास करवा चुकी हैं, इसमें कई लोग ऐसे हैं जो घर से भटक गए या फिर शारीरिक और मानसिक तौर पर दिव्यांग हैं, जिन्हें अपने परिजनों ने ही नकार दिया है. ऐसे लोगों के पुनर्वास का काम वह लगातार कर रही हैं. उनके इसी योगदान को देखकर जिला प्रशासन ने मंदसौर के वृद्धाश्रम वात्सल्यधाम में उन्हें एक नई बिल्डिंग भी आवंटित की है, जहां वे अभी 14 निराश्रित बालिकाओं के पुनर्वास का काम कर रही हैं. इसी आश्रम में मंदसौर और आसपास के निराश्रित वृद्ध भी वात्सल्यधाम के बिल्डिंग में रहते हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि कुछ हफ्तों से वात्सल्यधाम और उसके पास स्थित निराश्रित पुनर्वास केंद्र के स्टाफ के बीच अनबन चल रही है. इसी बात से खफा वात्सल्यधाम के कर्मचारियों ने शुक्रवार को अनामिका जैन को बिल्डिंग से बाहर निकाल दिया और दोनों मेन गेट पर ताले लगा दिए.