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संस्कृत की पाठशाला का अनोखा स्टूडेंट, वेद-शास्त्रों की शिक्षा लेने आता है तोता, देखिए Video - ईटीवी भारत

एक तोता हर रोज संस्कृत की पाठशाला में शिक्षा ग्रहण करने जाता है. सुनने में यह जरूर थोड़ा अटपटा लगेगा, लेकिन यही सच है. तोता बकायदा सभी के साथ मंत्रोच्चारण सुनता है, फिर क्लास खत्म होने के बाद दाना-पानी लेकर उड़ जाता है. ईटीवी भारत की इस रोचक रिपोर्ट को जरूर पढ़ें.

संस्कृत की पाठशाला का अनोखा स्टूडेंट
संस्कृत की पाठशाला का अनोखा स्टूडेंट

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Published : Sep 2, 2021, 10:40 PM IST

मंदसौर। जिले के पशुपतिनाथ मंदिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित संस्कृत पाठशाला में हर रोज एक तोता पाठ पठने आता है. यह जानकर आपको हैरानी जरूर होगी, लेकिन यह सच है. इस अनोखी पाठशाला में बटुकों के साथ तोता वेद और शास्त्रों की शिक्षा ले रहा है. संस्कृत पाठशाला में अध्यापन के दौरान अध्यापक से लेकर बटुकों के मंत्रोच्चारण को यह तोता काफी ध्यान से सुनता है. आपको यह भी जानकारी हैरानी होगी कि तोता समय का काफी पाबंद है. हर रोज कक्षा के समय वह बटुकों की तरह समय पर पहुंच जाता है. इस दौरान तोता पूरे समय संस्कृत में होने वाले मंत्रोच्चारण को सुनता रहता है.

वेद-शास्त्रों की शिक्षा लेने आता है तोता

ढाई-तीन महीने से कक्षा में पहुंच रहा तोता

मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर की संस्कृत पाठशाला में पिछले ढाई से तीन महीने से यह तोता बटुकों के साथ वेद और मंत्रों की शिक्षा लेने पहुंच रहा है. अब तोते की यह दिनचर्या भी बन गई है. संस्कृत पाठशाला में ही वह दाना-पानी भी लेता है. यह तोता अब मानो संस्कृत पाठशाला का हिस्सा बन चुका है. सुबह आता है और दोपहर में यहां से उड़ जाता है. इसके बाद तोता शाम को भी संस्कृत पाठशाला में कुछ घंटे के लिए पहुंचता है.

विष्णु प्रसाद ज्ञानी, संस्कृत अध्यापक

दो से तीन महीने हो गए हैं, यह तोता प्रतिदिन यहां आता है. वह कहां से आता है, और कहां जाता है किसी को कुछ नहीं पता. तोता पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में भी नहीं रहता, लेकिन हर दिन की सुबह कक्षा लगने के साथ वह पहुंच जाता है.

-विष्णु प्रसाद ज्ञानी, संस्कृत अध्यापक

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कक्षा के दौरान पहले भी आते थे जीव-जंतु

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब पाठशाला में जीव-जंतु पहुंचे हों. पाठशाला के संस्कृत अध्यापक विष्णु प्रसाद ज्ञानी बताते हैं कि इस परिसर में पेड़ों के बीच कक्षा का संचालन होता है, इस दौरान पहले भी कई बार जीव-जंतु आ जाते थे, पहले नाग-नागिन का जोड़ा घंटों फन फैलाए बैठा रहता था, इसके बाद एक खरगोश पाठशाला के बीच आ जाया करता था.

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