मंदसौर। देश के उत्तरी प्रांतों को दक्षिणी राज्यों से जोड़ने वाली और मालवा की जीवन रेखा मानी जाने वाली नयागांव-लेबड़ फोर लाइन सड़क इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रही है. उसकी बदहाली का कारण सड़क निर्माण की ठेकेदार कंपनी का मनमाना रवैया है. 260 किलोमीटर लंबी इस सड़क को अशोका बिल्डकॉन कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 15 साल पहले बनाया था. मालवा की लाइफलाइन अपनी बदहाली के कारण सड़क दुर्घटनाओं का अड्डा बनता जा रहा है.
नहीं सुधर रही तकनीकी खामियां
नेशनल हाइवे आगरा-मुंबई पर यातायात का दबाव कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने 15 साल पहले दिल्ली और बेंगलुरू को नए रास्ते से जोड़ने के लिए पश्चिमी मालवा में नयागांव से लगाकर लेबड़ तक की फोरलेन सड़क बनवाई थी. दो हिस्सों में बनाई गई यह सड़क शुरुआती दौर से ही विवादों से घिरी रही है. वहीं मध्य प्रदेश सड़क विकास प्राधिकरण के नोटिस के बावजूद निर्माण करने वाली कंपनी आज तक इसकी खामी को नहीं सुधार पाई है. आलम ये है कि साल 2005 में 1500 करोड़ रुपए की लागत से बनाई गई सड़क की कई पुलियां, सड़क और ओवर ब्रिज पर दी जाने वाली सुविधाएं ठेकेदार कंपनी ने कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक आज तक पूरी नहीं किए हैं.
कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक नहीं हुआ काम
लेबड़ से नयागांव तक बनाई गई फोर लाइन सड़क को अशोका बिल्डकॉन कंपनी ने एक और निजी ठेकेदार कंपनी के साथ मिलकर साझे तौर पर बनाया था. 15 साल पहले बनी इस सड़क के दो हिस्से अलग-अलग ठेकेदार कंपनियों ने बनाए थे. लेबड़ से बरगढ़ चौराहा तक अशोका बिल्डकॉन कंपनी की सहयोगी कंस्ट्रक्शन कंपनी और बरगढ़ चौराहा से नयागांव तक की सड़क खुद अशोका बिल्डकॉन कंपनी ने बनाई थी. ठेकेदार कंपनी ने सरकार से निर्माण संबंधी जो अनुबंध(कॉन्ट्रेक्ट) किया था, उसके मुताबिक हर एक साइड पर दो लाइन सड़क के अलावा 10 फीट चौड़ी सर्विस सड़क का निर्माण करना था.
- ट्रक ले बाय में नहीं है सुविधाएं
सड़क के चौड़ीकरण के अलावा ट्रक ले बाय के नाम पर महज एक कमरा खड़ा कर दिया गया है. वहां पर दी जाने वाली सुविधाओं के लिए कोई भी इंतजाम नहीं किए गए है. ट्रक ले बाय योजना के तहत हाइवे से लंबे-लंबे सफर तय करने वाले ट्रक ड्राइवरों के लिए वहां ठहरने, गाड़ी की आराम देने जैसी तमाम सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सड़क ठेकेदारों को इंतजाम करना था. लेकिन यहां न तो रिफ्रेशमेंट रूम बनाया गया है और न ही लेट-बाथ. साथ ही साथ ही ट्यूबवेल और सर्विसिंग पंप रूम भी नहीं बनाए गए हैं.
- नहीं लगाए फूलदार पौधे
सरकार ने सड़क के समतलीकरण के दौरान नष्ट हुए पेड़ों की तुलना में नई सड़क के दोनों तरफ 10 गुना पेड़-पौधे और फूलदार पौधे लगाने का अनुबंध किया था. लेकिन शर्त के मुताबिक कंपनी से वो भी नहीं हो पाया. वहीं सरकार ने ठेकेदार कंपनी को कई बार आगाह भी किया लेकिन कंपनी ने कोई सुनवाई नहीं की.
- नहीं की चौराहों पर लाइटिंग