मंदसौर। अक्टूबर महीने के 3 हफ्ते बीत जाने के बावजूद भी केंद्र सरकार ने इस साल होने वाली नई अफीम की फसल के लिए कोई नीति अभी तक घोषित नहीं की है. केंद्र सरकार की देरी की वजह से प्रदेश के मालवा इलाके और राजस्थान के हाड़ौती और मेवाड़ में पैदा होने वाली इस फसल के लाइसेंस धारी किसान असमंजस में है. देश के सबसे बड़े अफीम उत्पादन वाले इस इलाके में इस साल हुई अल्प वर्षा से यहां पानी की अभी से भारी किल्लत है और भरपूर पानी की जरूरत वाली इस फसल के लाइसेंस आवंटन में सरकार की तरफ से हो रही देरी की वजह से परेशान किसानों ने अब केंद्रीय वित्त मंत्रालय से मदद गुहार लगाई है.
मंदसौरः केंद्र सरकार ने नहीं की नई अफीम नीति की घोषणा, किसान हो रहे परेशान
अफीम की खेती को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक कोई नीति घोषित नहीं की गई है. जिसके चलते किसान परेशान हो रहे हैं. फसल की बुआई में देरी हो रही है.
मालवा इलाके की शान मानी जाने वाली काले सोना यानी अफीम की फसल की इस साल पैदावार के मामले में मालवा के किसान शुरुआती दौर में ही परेशान हो गए हैं. केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन और नारकोटिक्स विभाग की देखरेख में उगाई जाने वाली इस फसल के लाइसेंस आवंटन में सरकार ने एक महीने की देरी कर दी है. हर साल सितंबर के आखिरी हफ्ते में ही लाइसेंस वितरण हो जाने से किसान अक्टूबर के पहले हफ्ते में ही फसल की बुआई कर देते थे, लेकिन इस साल हो रही देरी से किसानों ने अभी तक अपने खेत खाली ही छोड़ रखे हैं.
उधर इलाके में पिछले मानसून के दौरान हुई और वर्षा से इस फसल की पैदावार पर अभी से खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. इलाके के किसानों ने केंद्र सरकार से जल्द ही नई अफीम नीति और लाइसेंस आवंटन की मांग की है.