मंदसौर।जिले के गरोठ क्षेत्र में स्थित भगवान धर्मराजेश्वर का मंदिर दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है, जो जमीन के अंदर बना हुआ है. बावजूद इसके यहां सूर्य की पहली किरण गर्भगृह तक पहुंचती है. ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव भगवान के दर्शन करते हैं. इस मंदिर की मान्यता है कि भगवान भास्कर खुद मंदिर में पहली किरण के साथ भगवान शिव और विष्णु के दर्शन के लिए आते हैं. धर्मराजेश्वर मंदिर का निर्माण एक विशाल चट्टान को काटकर किया गया है. ये दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसके मुकुट का पहले निर्माण हुआ और फिर ऊपर से नीचे की ओर निर्माण किया गया.
आधुनिक इंजीनियरिंग युग के लिए चुनौती
आज के इस आधुनिक इंजीनियरिंग युग को चुनौती देते हुए ऊपर से नीचे की ओर निर्माण होने वाला यह मंदिर अद्भुत इंजीनियरिंग का प्रतीक है. जब सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह तक जाती है, तब ऐसा लगता है कि सूर्य भगवान स्वयं अपने 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर भगवान शिव और विष्णु के दर्शन करने के लिए मंदिर आए हों.
मंदसौर से धर्मराजेश्वर की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है, यहां आने वाला हर श्रद्धालु इस स्थान को देखकर एक अलग ही आनंद की अनुभूति करता है. मंदिर में छोटी कुईया विद्यमान हैं, मान्यता है कि इसका पानी कभी नहीं सूखता है और यहां के पानी से स्नान करने पर रैबीज की बीमारी को रोका जाता है. साथ ही चर्म रोग, सर्प डंस आदि बीमारियों से राहत मिलती है. विशाल मंदिर और यह देवालय ना सिर्फ भगवान शिव और विष्णु के मंदिर का प्रतीक है, बल्कि यह संसार का अकेला ऐसा मंदिर है, जो जमीन के भीतर होते हुए भी सूर्य की किरणों से सराबोर हैं.
माना जाता है कि द्वापर युग में पांडव जब अपने अज्ञातवास के दौरान इस स्थान पर आए थे, तो भीम ने गंगा के सामने इसी जगह पर शादी का प्रस्ताव रखा था. जबकि गंगा भीम से शादी नहीं करना चाहती थी. इसीलिए गंगा ने भीम के सामने शादी की एक शर्त रखी थी, जिसके मुताबिक भीम को एक ही रात में चट्टान को काटकर इस मंदिर का निर्माण करया था. उसके बाद भीम की शर्त के मुताबिक 6 माह की एक रात बना दी. 6 माह की इस रात्रि में मंदिर का निर्माण किया गया था.