मंदसौर।भारत भूमि का गर्भ कहे जाने वाले मालवा इलाके में सबसे अनुकूल पर्यावरण होने के लिहाज से केंद्र सरकार ने मंदसौर जिला स्थित गांधी सागर अभ्यारण्य में चीतों का नया घर बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया है. पहले चरण में वन विभाग ने गांधी सागर अभ्यारण्य के पश्चिमी क्षेत्र में 64 वर्ग किलोमीटर एरिया को चीता सेंचुरी बनाने का काम जोरों पर कर रहा है. वन विभाग का तकनीकी अमला मजबूत लोहे के पाइप गाड़कर 10 फीट ऊंची लोहे की जालियां कसकर बाड़े को घेरने का काम कर रहा है. यह वन क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से काफी अनुकूल माना जा रहा है. यहां चीतों के जीवन उपयोगी वातावरण और खाने की भरपूर व्यवस्था के अलावा अनुकूल तापमान होने से भविष्य में उनकी संख्या तेजी से बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. Cheetah Project Gandhi Sagar Sanctuary
बाड़े की फेंसिंग का काम जारी :भारत सरकार की चीता स्टैंडिग कमेटी एनटीसीए के चेयरमैन राजेश गोपाल के साथ हाल ही में एक दल ने अभ्यारण्य क्षेत्र का दौरा किया है. इस अभ्यारण्य में समतल जमीन, खाने की उपलब्धता और सघन पेड़-पौधों के अलावा हिरण और चिंकारों की काफी संख्या मौजूद होने से चीतों को सुलभ जीवन मिलने की बात मानी जा रही है. पहले चरण में वन विभाग 17 करोड़ 70 लाख रुपए के बजट से बाड़े की फेंसिंग के अलावा चीतों की निगरानी के लिए जगह-जगह कैमरे और खाने के जीवों की सुलभता के साथ ही पानी की टंकियो की व्यवस्था कर रहा है. Cheetah Project Gandhi Sagar Sanctuary
नामीबिया से कूनो में आए थे चीते :बता दें कि पिछले साल अफ्रीका के नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क में पहले चरण में 8 और दूसरे चरण में12 चीते लाए गए थे. लेकिन उनमें से 9 की मौत होने के बाद विभागीय अमला इस बार उन पहलुओं को सबसे ज्यादा ध्यान में रख रहा है. हालांकि देश में चीतों की बसाहट के लिए कूनो, नौरादेही, गांधी सागर और राजस्थान के एक अभ्यारण्य का एनटीसीए ने चयन किया था. लेकिन कमेटी के लोग इन सभी में गांधी सागर की झील के किनारे इस अभ्यारण्य को सबसे अनुकूल मान रहे हैं.