मंदसौर। जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर महू-नीमच हाईवे से लगे थडोद गांव मे एक वर्षों पुराना वट वृक्ष है. यह वृक्ष जमीन पर करीब 12 बीघा (3 हेक्टेयर) तक फैला है. यह वट वृक्ष कितना पुराना है इसकी पूरे इलाके में कोई भी सटीक जानकारी नहीं दे पाता है. गांव वालों के अनुमान के मुताबिक, यह लगभग 300-500 साल पुराना है. अब यह बरगद का वृक्ष बूढ़ा होने लगा है, वृक्ष की उम्र ज्यादा होने से इसके तने और जड़ें कमजोर होने लगी हैं. लिहाजा जड़ें अपनी जगह छोड़ना शुरु कर चुकी हैं.
- वृक्ष की छांव में हजरज गालिब शाह बाबा की दरगाह
थडोद गांव के ग्रामीण बताते हैं कि वृक्ष के चारों तरफ मिट्टी की पाल बनाई जा रही है ताकि वृक्ष को अधिक से अधिक पानी मिल सके. थडोद गांव में वर्षों पुराने और करीब 12 बीघा में फैले इस बरगद के वृक्ष की छांव पहले इतनी घनी हुआ करती थी कि वृक्ष के नीचे कई हिस्सों में धूप तक नजर नहीं आती थी. कई जगह अंधेरा छाया रहता था. इसके अलावा इस वृक्ष की सबसे खास बात यह है कि इसके नीचे हजरज गालिब शाह बाबा की दरगाह भी मौजूद है.
- जायरीन बाबा की इबादत
एक ऐसा वृक्ष जिसके नीचे दरगाह हो और उसकी हिन्दू धर्म में भी पूजा की मान्यता हो तो इसकी अहमियत कई गुना बढ़ जाती है. थडोद गांव में स्थित इस वृक्ष के नीचे जायरीन बाबा की इबादत करने जिलेभर से हजारों लोग यहां पहुंचते हैं. दरगाह के खादिम और वट वृक्ष की देखरेख करने वाले थडोद गांव निवासी दिलावर शाह बताते हैं कि यह वृक्ष जिस तीन हेक्टेयर जमीन पर फैला है वह उनकी और उनके अन्य चार भाईयों के नाम है. वर्षों से दिलावर शाह का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी गालिब शाह बाबा की इबादत और इस प्राचीन वट वृक्ष की देखरेख करते आ रहे है.