मंडला। जिस क्षेत्र में गरीबी से लोग भूखे सो जाते हों, उसी देश में किसान की मेहनत के बाद उगाया गया अनाज अधिकारियों की लापरवाही के कारण खराब हो रहा है. जो धान चावल बनकर भूखे का पेट भर सकता था, सही प्रबंधन न होने के कारण वो धान खुले गोदामों में सड़ रही है, आलम ये है कि धान पड़े-पड़े अब दोबारा उगने लगी है.
स्टैग में बर्बाद हो रहा भूखों का निवाला मामला जिले के हीरापुर का है, जहां ओपन स्टैग में रखी धान बारिश के पानी के कारण पूरी तरह खराब हो चुकी है. यहां देखरेख करने वाले अभिषेक ठाकुर ने बताया कि धान रखने के लिए बनाए गए चबूतरों की ऊंचाई काफी कम है, जिसके चलते बारिश के दिनों में यहां तीन फीट तक पानी भर जाता है, जिससे अनाज सड़ना स्वभाविक है.
जानवरों के खाने लायक भी नहीं अनाज
केंद्रीय जांच दल ने इसी जिले में पीडीएस के तहत मिलने वाले आनाज की जांच की थी, जिसमें बताया गया था कि ये अनाज को इंसान तो छोड़िए जानवरों के खाने लायक भी नहीं है. लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार गहरी नींद में सो रहे हैं. वहीं मीडिया के सवालों से मुंह छिपाते नजर आ रहे हैं.
जिम्मेदारों ने नहीं दिया जबाब
जब हमने आनाज सड़ने को लेकर स्टैग और गोदाम प्रभारी याम सिंह राजपूत से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने पहले तो कभी ऑफिस, कभी हीरापुर स्टैग तो कभी फील्ड में होने की बात कहकर सवालों से बचते रहे और अंतिम में साफ कह दिया कि आपको जो दिखाना है दिखाइए.
एसडीएम ने दिए जांच के निर्देश
इसके बाद ईटीवी भारत की टीम ने खराब अनाज का मामला नैनपुर की अनुविभागीय अधिकारी शिवाली सिंह के सामने उठाया. जिस पर उन्होंने तुरंत ही नायब तहसीलदार और पटवारी को मौके का मुआयना कर जांच प्रतिवेदन बनाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही स्टैग प्रभारी को नोटिस भेजकर खराब हुए अनाज के बारे में लिखित जबाब मांगा है.
किसान मानसून के थपेड़ों से लड़कर भारी मेहनत से ये अनाज उगाता है, लेकिन जिम्मेदारों को इसकी कोई कद्र नहीं है. ये अधिकारियों की अनियमितता का ही नतीजा है कि करीब दो हजार बोरी अनाज सड़कर बर्बाद हो चुका है. अब देखना यह होगा कि इस मामले में जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई होती है.