मंडला। जिले में प्रस्तावित राजा दलपत शाह वन अभ्यारण्य के विरोध में आदिवासी समुदाय के लोगों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जगह-जगह ग्राम सभाओं में निंदा प्रस्ताव पारित कर अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाया जा रहा है. जिसके चलते आदिवासी समुदाय ने तहसीलदार को ज्ञापन भी सौंपा है.
आदिवासी समुदाय ने दलपत शाह अभयारण्य के विरोध में दिया ज्ञापन लोगों ने बताया कि आदिवासी समुदाय जंगलों पर ही निर्भर है. वे वन्य उत्पादों के माध्यम से ही अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं. अगर यहां वन अभ्यारण्य वन जाएगा तो उनके अधिकार सीमित हो जाएंगे. जिसके चलते न तो उन्हें मवेशी चराने जंगल में प्रवेश मिलेगा और न ही वे वन उत्पादों का उपयोग कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि जिले में पहले से ही कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान है, तो एक नया अभ्यारण्य बनाने की क्या जरुरत है.
बरगी बांध विस्थापित संघ के सदस्य राजेन्द्र पट्टा ने बताया कि राज्य में 10 राष्ट्रीय पार्क एवं 25 अभयारण्य हैं, जिसके चलते 94 गांव के 5 हजार 460 परिवार पहले से ही विस्थापित किये जा चुके हैं. नेशनल पार्क में अब कोर एरिया बढ़ाने के नाम पर 109 गांव के10 हजार 438 परिवारों को हटाये जाने की तैयारी की जा रही है. वन अधिकार कानून 2006 के मुताबिक क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी कर अभयारण्य की कार्रवाई शुरू करना गलत है.
कलेक्टर जगदीश चंद्र जटिया ने बताया कि आदिवासी समुदाय प्रस्तावित दलपत शाह अभ्यारण का विरोध कर रहा है. जिसके चलते ज्ञापन भी दिया गया है. उन्होंने बताया कि मामले से उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है.
विधायक अशोक मर्सकोले ने कहा कि उनकी विधानसभा क्षेत्र के लोग पहले ही बरगी बांध व चुटका के नाम पर दो-दो बार विस्तापित हो चुके हैं. अब वे उनके साथ अन्याय नहीं होंने देंगे.