मंडला। पुराने समय की महिष्मति नगरी और आज का मंडला का इतिहास बेहद समृद्ध और गौरवशाली रहा है. कहते हैं कि यहां मंडन मिश्र और आदि शंकराचार्य के बीच शास्त्रार्थ हुआ था. रामायण और महाभारत कालीन बहुत सी निशानियां भी यहां मिलती हैं.
सीधा पढ़ो या उल्टा हर दोहे में निकलेगा भक्ति का रस इस किताब को दोनों तरफ से पढ़ा जा सकता है इतिहासकार गिरिजा शंकर अग्रवाल के पास ऐसी ही एक ऐतिहासिक किताब है, जिसमें करीब 40 पेज हैं. इस किताब की खासियत ये है कि इसके दोहों को दोनों ही तरफ से पढ़ा जा सकता है. जो संस्कृत में लिखी गयी है. जब एक तरफ से ये पढ़ी जाती है तो दोहे में राम की जबकि उसी दोहे को उल्टा पढा जाए तो कृष्ण की भक्ति होती हैं.
'रामकृष्ण काव्य' है किताब का नाम
ये किताब मंडला के बोकर गांव से मिली थी, जिसे गिरिजा शंकर अग्रवाल ने सहेज कर रखी है. दैवज्ञ पंडित सूर्य कवि के द्वारा लिखी गयी ये किताब कितनी पुरानी है और कहां लिखी गयी थी, इसका जिक्र नहीं है. लेकिन निश्चित ही ये कहा जा सकता है कि ऐसी और किताब का कहीं जिक्र आज तक नहीं मिला.राम और कृष्ण भक्ति से सराबोर इस किताब की खासियत के चलते इसे रामकृष्ण काव्य कहा जाता है. जिसमे दोहों के टीका याने अर्थ भी दोनों तरह से समझाए गए हैं.
ये किताब है मंडला का गौरव
वहीं पुरात्तव संग्रहालय की अधिकारी हेमन्तिका शुक्ला से जब इस रामकृष्ण काव्य के बारे में पूछा गया तो उनका कहना है कि ऐसी किसी भी तरह की किताब न उन्होंने कभी देखी न ही कभी सुनी. जो दोनों ही तरफ से पढ़ी जाए. लेकिन यदी मण्डला में ऐसी कोई किताब या पाण्डुलिपि है तो यह हमारे लिए गौरव की बात होगी.
इतिहास संजोए हुए हैं मंडला
रामकृष्ण विलोम काव्य से मंडला के लोग ही परिचित नहीं है, ना ही कभी किसी को इसे देखने का मौका मिला. ईटीवी भारत इस किताब और उसकी खासियत से पहली बार अपने दर्शकों को रू-ब-रू करा रहा है, क्योंकि जिले के लिए ये बहुत ही गौरव की बात है कि जो कहीं न देखी या सुनी गई, ऐसी बहुमूल्य इतिहास की धरोहर हमारे जिले में मौजूद है. जिस पर शोध किया जा सकता है.