मण्डला। जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग कुपोषण दूर करने के लिए अभियान चलाए जाने के दावे तो बहुत करता है, लेकिन जब भी आंकड़े पर बात की जाती है, तो ये सारे दावे जमीनी हकीकत बयां कर देते हैं. जिले में अब भी 0 से 5 साल के बच्चों का पीछा कुपोषण नहीं छोड़ रहा है.
मण्डला में कुपोषण का आंकड़ा सरकारी योजनाओं और जागरूकता अभियान की उड़ा रहा धज्जियां
मण्डला जिले में 17 प्रतिशत कुपोषण हैं. ये आंकड़ा लगातार लाखों रुपए खर्च कर चलाई जा रही सरकारी योजनाओं और जागरूकता अभियान की धज्जियां उड़ा रहा है.
मण्डला जिले में कुल 2304 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें 4608 कार्यकर्ता और सहायिकाएं काम करती हैं. जिनकी निगरानी के लिए 78 सुपरवाइजर और 9 ब्लॉक में 9 परियोजना अधिकारी हैं. इन पर जिम्मेदारी है 0 से 5 साल के बच्चों को पूरक पोषण आहार खिलाने और उनके स्वास्थ्य की नियमित जांच कराने की. साथ ही इनका काम बीमारियों को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करना भी है, लेकिन इतने बड़े अमले के बाद भी मण्डला जिले में 17 प्रतिशत आबादी कुपोषण है, जो लगातार लाखों रुपए खर्च कर चलाई जा रही सरकारी योजनाओं और जागरूकता अभियान की धज्जियां उड़ाने के लिए काफी है.
जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी प्रशान्त दीप सिंह ठाकुर इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों तक अवेयरनेस नहीं पहुंचने की बात स्वीकारते हैं और कुपोषण के लिए फ्लोराइड वाले पानी को भी दोषी ठहराने से नहीं चूकते, तो सत्ताधारी दल के विधायक जो खुद पेशे से डॉक्टर हैं, उनका कहना है कि जो भी कार्यक्रम आयोजित होते हैं, वो जिला मुख्यालय में होते हैं, जबकि इन्हें हर गांव की आंगनबाड़ी केंद्र में किया जाए, तो गांववालों में जागरूकता आएगी और कुपोषण कम किया जा सकेगा. कुपोषण राहत के लिए एनआरसी सेंटर पर भी भीड़ लग रही है.