मंडला। भारत अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. लेकिन देश को गणतंत्र कहलाने का गर्व ऐसे ही नहीं मिली. 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ. जिसके बाद 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू किया गया ये वो पल था. इस आजादी के पीछे देश के कई शहीदों के खून बहा है.ऐसे ही एक शहीद थे मंडला के उदयचंद जैन जिनकी अमर गाथा को सब सलाम करते हैं.
सन 1942 में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन का शंखनाद सारे देश भर में आज़ादी के परवानों ने छेड़ी दी थी. सारे देश से होते हुए यह लहर मंडला तक भी पहुंची, यहां से होने वाले विद्रोह को देखते हुए तमाम बड़े नेता जो आंदोलन की अगुआई कर रहे थे. उन्हें अंग्रेजी पुलिस ने घरों से उठा कर थानों में या जेल में ठूंस दिया. मंडला क्षेत्र से पंडित गिरिजा शंकर अग्निहोत्री, उमेश दत्त पाठक,डिंडौरी क्षेत्र से गन्दू भोई अंग्रेजों की नाक में दम कर चुके थे. भगवान सिंह कुस्ताजर, जुगलकिशोर कुसतवार,बाबू लाल यादव,गया प्रसाद यादव जैसे दर्जनों नाम जो हर तरफ से अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर रहे थे. इसी दौरान नवयुवकों को एकता के सूत्र में बांधने एक कार्यक्रम का आयोजन टाउन हॉल में किया. जहां कार्यक्रम के दौरान गिरिजाशंकर जैसे बड़े नेताओं के गिरफ्तार होने की खबर पहुंची. नाटक और कार्यक्रम सुबह पांच बजे जब खत्म हुआ तो पुलिस ने और भी नेताओं को गिरफ्तार कर दमन कारी नीति अपनाई,अब शहर में सिपाहियों के बूटों, बंदूक की खड़खड़ ही सुनाई दे रही थी. लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि अब उस आंदोलन की अगुआई कौन करेगा
कौन थे उदयचंद जैन
14 अगस्त 1942 उदयचंद जैन महारपुर के अपने घर से विद्यालय जाने के लिए निकले घर के सदस्यों को या उदयचन्द को खुद नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है. उदय दिनभर अपने साथी चित्र भूषण के साथ रहे. इसी रात को हनुमान मंदिर में बैठक भी हुई. रातभर उदय चन्द घर नहीं गये. दूसरे दिन 15 अगस्त को स्कूल में भी वंदे मातरम की आवाज सुनाई दे रही थी. स्कूल बंद करने के लिए गौरीशंकर नामदेव धरने पर बैठ गए जिन्हें जगन्नाथ स्कूल प्रधानपाठक मेलाराम शर्मा ने समझाने की कोशिश की. स्कूल सुबह की पारी में लगा था,चार छात्र प्रधानाध्यापक के पास जुलूस में शामिल होने के लिए इजाजत लेने गये. जिन्हें टीसी दे दी गयी इसी दौरान स्कूल की छुट्टी हो गयी जुलूस की तैयारी छात्रों ने कर ली थी.
ऐसे निकला था वो जुलूस