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MP की शान है 100 से ज्यादा टाइगरों वाला कान्हा नेशनल पार्क, विदेशी पर्यटक भी हैं दिवाने - कान्हा नेशनल पार्क

दुनिया भर में 29 जनवरी यानी आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की शान कहे जाने वाले मंडला जिले में मौजूद कान्हा नेशनल पार्क की खूबसूरती से रू-ब-रू करा रहा है. सतपुड़ा के जंगलों में 2 जिलों मंडला और बालाघाट में 940 स्क्वेयर किलोमीटर इलाके में फैले इस पार्क में करीब एक सैकड़ा से ज्यादा टाइगर हैं. देखिए ये रिपोर्ट.

Kanha National Park
कान्हा नेशनल पार्क

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Published : Jul 29, 2020, 12:09 AM IST

मंडला। आज ग्लोबल टाइगर डे मनाया जा रहा है. बाघ संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बाघों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल टाइगर डे हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है. जब भी टाइगर की बात होती है तो मध्यप्रदेश के मंडला जिले में मौजूद कान्हा नेशनल पार्क का जिक्र जरूर होता है. इसलिए हम आपको मंडला के कान्हा नेशनल पार्क लेकर पहुंचे हैं, ये देश के बड़े नेशनल पार्कों और घने जंगल के लिए प्रसिद्ध है. टाइगर स्टेट का खिताब अपने नाम करने वाले मध्यप्रदेश का कान्हा नेशनल पार्क विदेशी सैलानियों की पहली पसंद बताया जाता है.

MP की शान है 100 से ज्यादा टाइगरों वाला कान्हा नेशनल पार्क

पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र

सतपुड़ा के जंगलों में 2 जिलों मंडला और बालाघाट में 940 स्क्वेयर किलोमीटर इलाके में फैले इस पार्क में करीब एक सैकड़ा से ज्यादा टाइगर हैं, जिनमें 50 के करीब नर और इतनी ही मादा हैं. यहां बाघों कादीदार आसानी से हो जाता है. यहां के टाइगर इंसानों के करीब आकर उनका भरपूर मनोरंजन करते हैं. यहां के मुन्ना और छोटा मुन्ना टाइगर के लोग दिवाने हैं. खास बात ये है कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और वास्तुकला के लिए विख्यात कान्हा पर्यटकों के बीच हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र बना रहता है.

कान्हा नेशनल पार्क में मौजदू सफारी

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को 1879 में एक आरक्षित वन घोषित कर दिया गया था और इसके बाद 1933 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में इसका पुनर्मूल्यांकन किया गया. फिर 1955 में आगे चलकर एक राष्ट्रीय पार्क बना. कान्हा टाइगर रिजर्व कान्हा नेशनल पार्क 108 बाघों के साथ देश में दूसरे नंबर पर है. यहां 100 के करीब बाघ हैं और एक बाघ को करीब 25 किलोमीटर क्षेत्र चाहिए होता है, इस लिहाज से 2500 किलोमीटर का क्षेत्र होना चाहिए. क्षेत्र कम होने से यहां के बाघ दूसरे जंगलों की तरफ रूख करते हैं और यही कारण है कि इनकी संख्या भी स्थिर होती रहती है.

100 से ज्यादा टाइगरों वाला कान्हा नेशनल पार्क

108 बाघों के साथ देश में दूसरा स्थान

पिछले साल आज ही के दिन एमपी को यह खिताब दोबारा मिला था और उसने अपना खोया दर्जा हासिल किया था. फिलहाल मध्य प्रदेश 526 बाघों के साथ देश में नंबर वन है, जबकि कान्हा टाइगर रिजर्व कान्हा नेशनल पार्क 108 बाघों के साथ देश में दूसरे नंबर पर है.

कान्हा नेशनल पार्क

लॉकडाउन से कम हुई पर्यटकों की संख्या

कान्हा टाईगर रिजर्व का सीजन मार्च से जून तक होता है. इस दौरान बड़ी संख्या में यहां देश विदेश से पर्यटक आते हैं, लेकिन इस साल बाघों का दीदार करने और उनकी दहाड़ सुनने वालों को मायूस होना पड़ा, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान इसे बंद करना पड़ा. लॉक डाउन के चलते जहां पर्यटकों को मायूस होना पड़ा वहीं पर्यटन से जीवन यापन करने वालों को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा.

विदेशी पर्यटक भी हैं दिवाने

जंगल सफारी का एक अलग ही मजा

माना जाता है कि सर्दियों में यहां जंगल सफारी का एक अलग ही मजा है. अगर आप भी जंगल सफारी का मजा लेना चाहते हैं, तो आपके लिए कान्हा नैशनल पार्क बेस्ट जगह है. यहां बंगाल टाइगर की अच्छी खासी आबादी है, जिसके करण जंगल सफारी के दौरान यहां बाघ दिखने की संभावना सबसे ज्यादा होती है.

यहां मिलते हैं कई और जानवर

बंगाल टाइगर के अलावा यह नैशनल पार्क बारहसिंघों के लिए भी फेमस है. हालांकि यहां चीता, बाघ, चीतल, बार्किंग डियर, गौड़ और पक्षियों की कई प्रजातियां भी पाई जाती हैं. यही वजह है कि देसी से लेकर विदेशी पर्यटक यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

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