मंडला। अक्षय तृतीया शादी के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन किसी मुहुर्त, तिथि, पंचाग की जरुरत नहीं होती, सभी कामों का फल अच्छा होता है लेकिन कोरोना महामारी के कारण देश भर में लॉकडाउन है. ऐसे में मांगलिक कार्यों के साथ-साथ शादियों पर रोक लग गई है साथ ही शादियों में सेवाएं देने वालों के बिजनेस भी ठप हो गए हैं.
सात फेरों पर भी संकट का साया कोरोना के इस संकट ने शादी के कितने ही सपनों और तैयारियों पर पानी फेर दिया. इस दिन बच्चे गुड्डे-गुड़ियों का ब्याह रचाते हैं, वहीं मां-बाप अपने बेटे के सिर पर सेहरा सजे और बेटी को लाल जोड़े में देखने के सपने देखते हैं. लेकिन लॉकडाउन के चलते लकीरें उन परिवार वालों के चेहरों पर नज़र आ रहीं हैं जिन्होंने मार्च-अप्रैल में आने वाले शुभ मुहूर्त में अपने बच्चों की शादियों की तैयारियां कर ली थी.
कोरोना वायरस के चलते उन मां-बाप के माथे पर लकीरें खींच गई हैं जिन्होंने मांगलिक पत्रिकाएं छापने के ऑर्डर दे चुके थे, टेंट वाले से लेकर खाना बनाने वालों और घोड़ी बग्घी से लेकर बैंड वालों तक को एडवांस दे दिया था. लॉकडाउन के बाद वीडियो ग्राफी से लेकर फ़ोटो एल्बम के लिए दिए गए पैसे जाम हो गए. वहीं बेटी को विदा करने के साथ दिया जाने वाला सामान धूल खा रहा है. वहीं कार्ड छापने वालों, बैंड वालों को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है.
कार्ड छापने वाले आशीष सेठ ने बताया कि अब तक करीब दो दर्जन से ज्यादा शादियों के कार्ड की डेट निकल चुकी और लोगों के कार्ड नहीं उठाने से उनका माल और पैसा फंस गया है. वहीं नैनपुर में रहने वाले राजकुमार कांड्रा ने बताया कि एक शादी के 20 हजार रुपए के हिसाब से 20 से ज्यादा ऑर्डर कैंसिल होने के चलते बैंड खाली पड़े हैं और लाखों का जो नुकसान हुआ उससे करीब 20 लोगों के परिवार साल भर नहीं उबर सकते. क्योंकि यही सीजन साल भर की कमाई का होता है.