मण्डला। कोरोना काल में वैसे भी सब कुछ अस्त व्यस्त है, त्योहार भी सूने-सूने हैं. सब्जियों की महंगाई ने आपके जायके का स्वाद बिगाड़ दिया है. लेकिन अब दाल पर महंगाई की मार देखने को मिल रही है. हालांकि, पहले से कोरोना काल में आर्थिक तौर से लोगों की कमर टूट चुकी है, अब दालों की बढ़ती कीमतें और परेशान कर रही हैं.
दालों के दाम छू रहे आसमान मंडला जिले में इन दिनों महंगाई आसमान छू रही है. सब्जी तो वैसे ही बीते करीब 1 माह से लोगों को रुला रही थी. वहीं अब दालों के भी भाव अचानक से आसमान छू रहे हैं.
बीते 15 दिनों में दालों के भाव:-
⦁ अरहर की दाल की कीमत 100 रुपए से बढ़कर 130 से 140 रुपए प्रति किलो हो गई है. वहीं मीडियम क्वालिटी की दाल 100 रुपये के दाम पर बिक रही है.
⦁ चना दाल की कीमत इन दिनों 80 रुपये प्रति किलो से लेकर 100 रुपये प्रति किलो के बीच चल रही है.
⦁ मसूर की दाल के दाम भी 100 रुपये के आसपास प्रति किलो चल रहे हैं.
⦁ उड़द और मूंग की पैदावार दीपावली के आसपास बाजारों में आती है, लेकिन इनके दाम भी फिलहाल 80 से 100 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं.
इसलिए बढ़ रहे दालों के दाम
जानकारों के मुताबिक बीते साल जो दाल मंडला जिले में नरसिंहपुर, गाडरवारा और अन्य जिलों से आती थी. इन जिलों में दालों की पैदावार कम हुई है. जिसके चलते जिले में थोक व्यापारी दालों का स्टोरेज नहीं कर पाए. इसके अलावा जिले में होने वाली उड़द, मूंग की पैदावार पिछले साल कम हुई थी. जिसकी वजह बेमौसम बारिश, अतिवृष्टि और ओलावृष्टि ही कही जा सकती है. जिसने अरहर को भी काफी नुकसान पहुंचाया था और ओलावृष्टि ने चने के पौधे को तैयार होते समय ही बुरी तरह से चौपट कर दिया था.
कीमतों में आएगी गिरावट: व्यापारी
जिले के थोक और खुदरा व्यापारियों का कहना है कि दालों की लगातार बढ़ रही कीमतों की कुछ दिनों में कम होने की उम्मीद है. क्योंकि उड़द और मूंग की फसल पक कर तैयार होगी. इसके अलावा महीने भर के बाद से जिले में लगाई गई अरहर की पैदावार भी धीरे-धीरे आना शुरू होगी और तभी कीमतों में गिरावट आने की संभावना बनेगी.
सब्जी की फसल बर्बाद होने से बढ़ रहे दालों के दाम
जिले में इन दिनों आलू 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है. जबकि प्याज की कीमत 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है. इसके अलावा गोभी, पालक, मेथी, शिमला या फिर कोई भी सब्जी 50 रुपये से कम में नहीं बिक रही है. जिसकी मुख्य वजह जिले के स्थानीय कछारों में इस साल विपरीत मौसम के चलते सब्जियों की पैदावार का न होना है और लोगों को हर तरह से दाल और सब्जियों में महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है.