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केंद्रीय जांच टीम की रिपोर्ट से एमपी में मची रार, एक्शन में मुख्यमंत्री शिवराज - Food Minister Bisahulal Singh

मंडला में गरीबों का बांटा गया चावल इंसानों के खाने योग्य नहीं था, इसका खुलासा केंद्रीय जांच टीम की रिपोर्ट में हुआ है. जिसके बाद सीएम शिवराज सिंह ने एक्शन लेते हुए संबंधित पर कार्रवाई की है.

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इंसानों के खाने योग्य नहीं चावल

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Published : Sep 3, 2020, 7:41 AM IST

Updated : Sep 3, 2020, 7:58 AM IST

मंडला। पीडीएस के तहत लॉकडाउन में बांटे गए घटिया चावल को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है. ये सब हुआ है केंद्रीय जांच टीम द्वारा लिए गए सैंपल से, जिसका टेस्ट दिल्ली स्थित लैब में हुआ है. जांच के बाद आई रिपोर्ट में कहा गया है कि मंडला और बालाघाट जिले के वेयरहाउस में रखे गए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के चावल की जांच में पाया गया है कि वो इंसानों के खाने के लायक नहीं हैं, केवल बकरी-भेड़ के खाने लायक है.

इंसानों के खाने योग्य नहीं चावल

कृषि भवन नई दिल्ली ने जब केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपी, तब केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने मध्यप्रदेश के सभी सार्वजनिक वितरण केंद्रों के चावल बांटने पर रोक लगा दी. जिसका कारण वो रिपोर्ट थी, जिसके द्वारा जिले के वेयरहाउस से लिए गए अनाज के सैंपल जो दिल्ली के लैब में जांच के बाद भेड़-बकरी के खाने लायक पाए गए और ये कहा गया कि ये आनाज इंसानों के खाने लायक बिल्कुल भी नहीं है.

30 जुलाई से 2 अगस्त तक हुई थी जांच

केंद्रीय उपायुक्त की टीम ने मंडला और बालाघाट जिले की पीडीएस की दुकानों से 30 जुलाई से 2 अगस्त के बीच 32 नमूने लिए थे. इनकी जांच कृषि भवन नई दिल्ली स्थित सेंट्रल लैब में कराई गई. जांच रिपोर्ट के अनुसार सभी नमूनों के चावल खराब निकले.

कमलनाथ ने की निंदा

केंद्रीय समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे अमानवीय कृत्य करार दिया है. उन्होंने कहा कि ये मानवता को तार-तार करने वाला है, उन्होंने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

क्या कहते हैं अधिकारी

मंडला नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक मनोज श्रीवास्तव से बात की गई तो उनका कहना है कि जिले में जो अनाज बांटा जाता है, वो जिले की ही पैदावार का होता है. जिसका सुरक्षित भंडारण स्टेट वेयरहाउस में किया जाता है और इसे यहीं तैयार कर मिलर्स के माध्यम से बांटा जाता है. अनाज की सप्लाई प्रदेशभर में की गई है, लेकिन कहीं से कोई शिकायत अब तक इसकी गुणवत्ता को लेकर नहीं मिली है. इसकी जांच दिल्ली की लैब में कराई गई है, जहां केंद्रीय टीम ने सरकार से ये कहा है कि ये अनाज इंसानों के खाने लायक नहीं है. जिसके बाद और टीमें गठित की गई हैं, जो प्रदेश में अनाजों की सैंपलिंग कर रही है.

सरकार ने की कार्रवाई

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने तुरंत कार्रवाई की है और गुणवत्ताविहीन चावल प्रदाय के लिए गुणवत्ता नियंत्रकों की सेवाएं समाप्त कर दी है. जिला प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया है. मिलर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बालाघाट एवं मंडला जिलों में कुछ स्थानों पर गुणवत्ताविहीन चावल प्रदाय के प्रकरण को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. उन्हें साफ हिदायत भी दी है कि राशन, खाद्य आदि की गड़बड़ी और कालाबाजारी करने वालों को बिलकुल नहीं बख्शा जाएगा और उन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाएगी.

51 दल ने 1021 सैम्पल लिए

चावल की गुणवत्ता परीक्षण के लिए भारतीय खाद्य निगम एवं खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के 51 संयुक्त दल बनाए गए हैं, जिन्होंने दोनों जिलों से चावल के 1021 सैम्पल लिए. प्रारंभिक जांच के परिणाम स्वरूप इनमें से 57 सैम्पल निर्धारित गुणवत्ता विहीन पाए गए. राज्य की कस्टम मिलिंग नीति में उल्लिखित प्रावधान अनुसार मिलर द्वारा कस्टम मिलिंग उपरान्त दिए गए निम्न गुणवत्ता के चावल मिलर को वापस कर मानक गुणवत्ता के चावल प्राप्त किए जाएंगे. बहरहाल मंडला में फिर से जांच टीम आयी हुई है और फिर से चावल के सैम्पल अलग-अलग जगहों से लिए जा रहे हैं. जिसकी रिपोर्ट के बाद नए तथ्य सामने आएंगे, लेकिन केंद्रीय जांच दल के द्वारा लिए गए सैम्पल की रिपोर्ट ने जिले की राजनीति को गरमा दिया है.

Last Updated : Sep 3, 2020, 7:58 AM IST

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