मंडला।नागलोक और नागों की दुनिया सभी को आकर्षित करती है, हर कोई इसके रहष्य को जानना चाहता है. दर्जनों फिल्में भी नाग नागिन की मोहब्बत, नागिन का बदला और अन्य विषय पर बन चुकी हैं, लेकिन एक ऐसे कलाकार हैं, जो सिर्फ नागों की ही कलाकृतियों को बनाते हैं और सांपों की प्रजाति बचाने के लिए काम कर रहे हैं. मंडला जिले के राजीव मिश्रा पेशे से शिक्षक हैं. उनकी कलाकृतियों की विशेषता है कि वो हर जगह लकड़ी या बांस की उन आकृतियों को तलाशते हैं जिनकी बनावट नाग या सांपों की प्रजाति जैसी दिखाई दें. इसके बाद उसे घर लाते हैं और उसमें कला की वो खूबसूरती भरते हैं जो हर किसी देखने वाले के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाए.
बचपन से ही रहा नागों का साथ-
ओरईं गांव के रहने वाले राजीव का कहना है कि उनका बचपन जिस घर में बीता वहां नागों का पूरा एक कुनबा ही था और घर में नाग-नागिन का चाहे जब निकल जाना आम बात थी, उनका छोटा भाई कई बार नागों को पकड़ कर दूर छोड़ आता था और हमेशा देखते रहने के चलते उन्हें कभी इनसे डर नहीं लगा. बल्कि उनसे एक लगाव सा हो गया, राजीव का कहना है कि जब तक लोग इन्हें किसी तरह से डिस्टर्ब न करें, ये कभी हमला नहीं करते, लेकिन लोग इन्हें आहिस्ता से भगाने की बजाय इन पर टूट पड़ते हैं और देखते ही मार देते हैं. जो सांपों या नागों की प्रजाति के कम होने का सबसे बड़ा कारण है.
सांपों की प्रजाति बचाने तैयार किए सर्पमित्र-
बचपन से सांप या नागों के बीच रहने के चलते इन्हें पकड़ना राजीव के लिए बहुत साधारण सी बात है जो एक कला है और इस कला को राजीव नई पीढ़ी को सिखाने का भी काम करते हैं. जिनके द्वारा दर्जन भर करीब सर्पमित्र तैयार किए गए हैं, जो कहीं भी निकलने वाले कितने भी जहरीले सांपों की प्रजाति को पकड़ने के साथ ही सुरक्षित स्थानों पर छोड़ने का काम करते हैं और अब तक इन सर्पमित्रों ने हजारों की संख्या में सांपों को लोगों के द्वारा मारने से बचाया है.