मंडला। शारीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ्य रहने के लिए लोग इन दिनों पुराने नुस्खों का सहारा ले रहे हैं. आदिवासी सालों से तीज-त्योहारों पर वाद्ययंत्र तुरही का उपयोग करते हैं. जिसे बजाने से फेफड़े मजबूत होते हैं और हृदय रोग की समस्या से आराम मिलता है.
फिट रहने के लिए पुराने पारंपरिक नुस्खे अपनी रहे लोग फिट रहने के लिए आजकल जिम का चलन काफी बढ़ गया है, लेकिन इतिहास में ऐसे घरेलु नुस्खे भी हैं, जिसका इस्तेमाल कर घर बैठे कम खर्चों में स्वस्थ रहा जा सकता है. आदिवासी सालों से तुरही जैसे वाद्य यंत्र का प्रयोग हर मांगलिक काम के वक्त करते हैं. इस वाद्य यंत्र को अगर रोजाना सुबह-शाम बजाया जाये तो इससे फेफड़े मजबूत होते हैं, साथ ही दिल सहित अन्य बीमारियों में भी आराम मिलता है. इस बात को वैज्ञानिकों ने भी माना है.तुरही के आलावा एक और पारम्परिक साधन है, जिसका आविष्कार भगवान बुद्ध ने किया था. जिसे मेडिटेशन बाउल या ध्यान कटोरा कहते हैं. ये कांसे का कटोरा होता है, जिसे हथेली के बीचो-बीच रखा जाता है और एक छोटे से डंडे को इसके चारों ओर घुमाते हैं, इससे ओम की ध्वनि निकलती है. जिससे तनाव दूर करने में काफी मदद मिलती है. साथ ही हथेली में एक वाइब्रेशन होता है, जो रक्त संचार को ठीक करने का काम करता है.