मंडला।कभी आसमान छूत भाव तो कभी माटी मोल की वजह से किसान और व्यापारियों को रुलाने वाली प्याज एक बार फिर ग्राहकों की जेब पर असर डालने वाली है. दरअसल, आदिवासी बहुल जिला मंडला का सब्जी बाजार लोकल प्याज पर टिका होता है, लेकिन बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से इस साल पूरी तरह से प्याज की फसल मारी गयी है. आलम यह है कि जिले से बाहर जाने वाली प्याज का कोई नामोनिशान तक नहीं है, वहीं बाहर से आने वाली प्याज के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, जो फिर लोगों को रुलाने की तैयारी में है.
बढ़ सकते हैं प्याज के दाम मंडला जिले में लगने वाली प्याज की मांग अपनी गुणवत्ता, स्वाद और ज्यादा दिनों तक खराब न होने के चलते दूसरे जिलों में भी काफी रहती है. वहीं जिले के लगभग सभी बाजारों पर भी इसका ही राज चलता है. लेकिन इस सीजन लोकल प्याज सब्जी मार्केट से नदारद है.
लोकल प्याज पर कितना निर्भर है सब्जी बाजार
मंडला में प्याज की करीब 75 से 80 प्रतिशत आपूर्ति लोकल पैदा होने वाली प्याज से होती है. साथ ही दूसरे जिलों की मंडियो में भी बड़ी मात्रा में यह प्याज बिकती थी और यही वजह है कि जब प्याज के दाम आसमान छूते थे तब भी जिले में प्याज की किल्लत नहीं होती थी, लेकिन इस बार किसानों ने जो प्याज लगाई थी वह मौसम की मार के चलते पैदा ही नहीं हुई और मंडला के सब्जी बाजार में लोकल प्याज देखने को ही नहीं मिल रही है.
प्याज की कीमत में हो रहा इजाफा
जिले का सब्जी बाजार अब पूरी तरह से नरसिंहपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा और अन्य पड़ोसी जिलों की सब्जी मंडी से आने वाली प्याज पर निर्भर है, जिसके चलते इन दिनों थोक में 6 से 8 रुपये किलो बिकने वाली प्याज 12 से 14 रुपये किलो बिक रही है. वहीं फुटकर में इसका दाम 15 रुपये प्रतिकिलो तक चल रहा जो रोज बढ़ता ही जा रहा है. वहीं दाम बढ़ने की आशंका के कारण लोग अब घरों में प्याज स्टोर करने लगे हैं.
फिर रुलाएगी प्याज
रोजाना प्याज के दाम में प्रति कट्टी 50 से 100 रुपये का इजाफा हो रहा है, इस लिहाज से प्याज के थोक व्यपारियों का कहना है कि बरसात के समय पूरी तरह से बाहरी प्याज पर निर्भर रहने वाले सब्जी बाजार में प्याज की कीमतों में भारी उछाल आएगा, जिससे 30 रुपये से ज्यादा भाव वाली प्याज बरसात के जाते जाते एक बार फिर लोगों को रुलाएगी.
बेमौसम की बरसात ने जहां प्याज की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है, वहीं बाहर से आने वाली प्याज में लगने वाला भाड़ा ग्राहकों की जेब में डाका डाल रहा है. दूसरी तरफ मंंडला जिले की प्याज के मुकाबले बाहरी प्याज लोगों को पसंद भी कम ही आ रही है, लेकिन प्याज के बिना लोगों का काम भी नहीं चलता ऐसे में बाजार में उपलब्ध प्याज खरीदना लोगों की मजबूरी है.