मण्डला। कुपोषण का कलंक दूर करने के लिए सरकारों ने विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका बजट भी किसी छोटे-मोटे देश के संपूर्ण बजट से कम नहीं. बावजूद इसके कहीं न कहीं कोई बच्चा छूट ही जाता है. ऐसे में मंडला का महिला एवं बाल विकास विभाग अब कुपोषण के खिलाफ लड़ने के लिए न्यूट्रीगार्डन का फार्मूला अपना रहा है. इसके तहत जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में फल, सब्जी और भाजियों की क्यारियां लगाई जा रही हैं, जिनसे निकलने वाले उत्पाद को बच्चों और उनकी माताओं खिलाया जाएगा.
क्या है योजना
पोषण वाटिका हर आंगनबाड़ी केंद्र में बनाई जा रही हैं, जिनके लिए स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जा रहा. इन पोषण वाटिकाओं के लिए रसोई घर का पानी उपयोग किया जाएगा. इन वाटिकाओं में गोभी, भिंडी, लौकी, मेथी, पालक, बरवटी, मिर्च, पपीते, केले जैसे पेड़ पौधे और भाजियां लगाई जाएंगी, जिससे कि इसका सीधा लाभ कुपोषण को दूर करने में मिल सके.
अब तक 923 न्यूट्रीगार्डन
जिले की प्रत्येक आंगनबाड़ी में बनने वाली इन वाटिकाओं की शुरुआत हो चुकी है. अब तक 923 न्यूट्रीगार्डन भी तैयार हो चुके है. इसमें बिछिया विकासखंड में 97, बीजाडांडी में 115, घुघरी में- 133, मंडला में 112, मवई में 158, मोहगांव में 43, नैनपुर में 162, नारायण गंज में 78 और निवास में 25 पोषण वटिकाएं अथवा न्यूट्रीगार्डन तैयार की जा चुकी हैं.
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क्यों पड़ी जरूरत
ग्रामीण क्षेत्रों में फल और सब्जियों की उपलब्धता हर समय नहीं होती. ऐसे में सब्जियों, फलों और भाजियों से मिलने वाले पोषक तत्वों के महत्व और उनकी कमी को पूरा करने के लिए इनकी उपलब्धता भी हर बच्चे के घर तक पहुंचा कर और मध्यान भोजन में शामिल कर की जाएगी, जिससे कि ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण कम हो और सब्जियां और फल मात्र भोजन नहीं बल्की न्यूट्रिशियन देने वाले तत्व भी बन पाए.