मंडला। जिले के ग्रामीण इलाकों में कई बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, तो वहीं सरकार केवल दावे करने में ही व्यस्त है. यहां तक कि पोषण पुनर्वास केंद्रों में कुपोषित बच्चों को इलाज कराने की जगह तक नहीं मिल रही है. वहीं समय पर इलाज नहीं मिलने से बच्चों की हालत और खराब हो जाती है.
जिले में शून्य से 5 साल के कुल 85 हजार 456 कुपोषित बच्चे सर्वे के हिसाब से दर्ज हैं. इनमें से 250 बच्चों को छोड़कर सभी का वजन महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा कराया गया. इस दौरान कम वजन या कुपोषित 14 हजार 446 बच्चे सामने आए. इसके अलावा ऐसे बच्चों के भी आंकड़े हैं, जो विभाग की योजनाओं पर सवाल खड़े करने वाले हैं. जिले में कुपोषित बच्चों के अलावा 1,290 ऐसे बच्चे हैं, जो अति कुपोषित की श्रेणी में आते हैं.