मंडला।चौमासा के बीतने के साथ नर्मदा परिक्रमावासियों का जत्था परिक्रमा पथ पर निकल पड़ता है और इसी दौरान नर्मदा भक्तों को बड़ी-बड़ी विभूतियों के दर्शन लाभ लेने का सौभाग्य प्राप्त होता है. इस बीच निवास क्षेत्र में 4 वर्षीय नन्हीं रासेश्वरी नर्मदा पथ परिक्रमावासी का आगमन हुआ. संक्रांति पर आयोजित होने वाला अखाड़ा अब चरण तीरथ धाम पर आयोजित होगा. विदिशा जिले के साथ आसपास के अन्य जगहों से भी बड़ी संख्या में पहलवान अखाड़े में शामिल होंगे.
निर्मल हृदय से परिक्रमा:जो महाराष्ट्र शनिशिंगणापुर के समीपी ग्राम चिड़गांव की रहने वाली है और माता अर्चना जाधव पिता रमेश जाधव दादा गोर्डे दादी शांता बाई मोसी स्वरमाला 2 अन्य नायक काका मोरपिस मामा के साथ नर्मदा परिक्रमा पर निकली है. 4 वर्षीय नन्हीं रासेश्वरी बिना किसी झिझक और परेशानी के निर्मल हृदय से परिक्रमा कर रही हैं. रास्तेभर नर्मदा भजनों से साथी परिक्रमावासियों का मनोरंजन करने के साथ साथ अन्य नर्मदा भक्तों को भी ईशभक्ति का अद्भुत उदाहरण दे रही. ये नन्हीं परिक्रमावासी जहां से भी गुजर रही है लोगों में चर्चा का विषय बन जाती है.
2 माह से अधिक की यात्रा: कोई बिस्कुट भेंट कर रहा है तो कोई नारियल. तो कोई फूल माता सभी अपने अपने स्तर पर इनका स्नेह पाना चाह रहा था. तो माताएं इसे गोदी में लेकर दुलार करना चाह रहीं हैं. परिक्रमा पर निकला दल चलते चलते तो थक जाता है, लेकिन 4 वर्षीय बालिका फिर भी नहीं रुकती. बालिका की नर्मदा नदी के पति अटूट आस्था के चलते साथ चलने वाले दल के सदस्यों को भी ऊर्जा मिल रही है, अब तक रासेश्वरी 2 माह से अधिक की यात्रा पूरी कर चुकी है और बालिका को 2 माह और सफर तय करना है. कड़ाके की ठंड में बालिका की नर्मदा मैया के प्रति अटूट आस्था देखते ही बनती है.