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मध्यप्रदेश को एजुकेशन हब बनाने की तैयारी, शिक्षा स्तर में किया जाएगा ये सुधार

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Published : Oct 21, 2020, 7:45 PM IST

Updated : Oct 21, 2020, 10:53 PM IST

मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को सरकार चुनौती के तौर पर देख रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी और बुनियादी सुविधा न मिलने के चलते बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. जिसको लेकर सरकार ने प्रदेश भर में एजुकेशन हब प्लान तैयार किया है.

Madhya Pradesh will become education hub
मध्यप्रदेश को एजुकेशन हब बनाने की तैयारी

मंडला।मध्यप्रदेश की सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए राज्य शिक्षा केन्द्र के द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के आभाव, शिक्षकों की कमी और स्कूलों में दर्ज संख्या कम होना बड़ी समस्या है. जिसको देखते हुए प्रदेश भर में करीब 10 हजार एजुकेशन हब बनाए जाएंगे. जहां हर तरह की व्यवस्थाएं और सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा. खास बात यह कि एक ही कैम्पस में कक्षा 1 से 12 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ ही आवास भी उपलब्ध होगा.

मध्यप्रदेश को एजुकेशन हब बनाने की तैयारी

मंडला जिले के 201 स्कूलों को नए प्लान के तहत संवारने का प्लान है और इन स्कूलों की दर्ज संख्या तय नियमों के हिसाब से 1 हजार से कम नहीं होगी. ऐसे में निश्चित ही यह प्रयास यदि आकार लेता है तो सरकारी स्कूलों में भी विद्यार्थियों को प्राइवेट स्कूलों की तरह पढ़ाई का स्तर मिल सकेगा.

मंडला जिले में कुछ इस तरह है स्कूलों के आंकड़ें:-

⦁ कक्षा 1 से 8 तक कुल 2678 स्कूल.

⦁ प्राथमिक शालाओं की संख्या 2078.

⦁ मिडिल स्कूल की संख्या 600 है.

⦁ सरकारी स्कूलों में कुल 4920 शिक्षक हैं.

⦁ स्कूलों में 850 शिक्षकों की कमी हैं.

⦁ 214 स्कूल शिक्षक विहीन हैं.

⦁ 912 स्कूलों में विद्युत व्यवस्था नहीं हैं.

⦁ कक्षा 1 से 8 तक कुल विद्यार्थियों की संख्या 1,00,399 हैं.

जिले के 3 स्कूलों का होगा चयन

मंडला जिले के 66 जन शिक्षा केन्द्र से लगभग 3 स्कूलों का चयन किया जाएगा. जहां कक्षा 1 से 12वीं तक की शिक्षा दी जाएगी. इन स्कूलों को हर तरह की सुविधाओं से जोड़ा जाएगा और नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार यहां पढ़ाई कराई जाएगी. इसके लिए प्राचार्य स्तर पर स्कूलों के नाम स्थान और सुझाव मांगे जा रहे हैं. जिनका वेरीफिकेशन डीपीसी और जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा किया जाएगा.

एजुकेशन हब बनाने का उद्देश्य

इन स्कूलों को बनाने का उद्देश्य है कि दूर दराज के वे गांव जहां स्कूलों को संचालित करने में परेशानी भौगोलिक परिस्थितियों के साथ ही आवागमन के साधनों और नेटवर्किंग की दिक्कतों के चलते स्कूलों की दर्ज संख्या भी कम होती है. ऐसे क्षेत्रों के बच्चों को आवासीय परिसर वाले स्कूलों में एडमिशन का बेहतर विकल्प होगा. जहां छात्र रहने के साथ ही बारहवीं तक कि पढ़ाई एक ही स्कूल से कर सकेंगे.

स्कूल में मिलेगी यह सुविधाएं

⦁ बच्चों को रहने की व्यवस्थाओं के साथ ही पढ़ाई लिखाई का सारा खर्च सरकार उठाएगी, कक्षाओं में पढ़ाई के साथ ही कोचिंग की व्यवस्था होगी.

⦁ आधुनिक शिक्षा, कम्प्यूटर की व्यवस्था, प्रायोगिक लैब, म्यूजिक, खेल कूद की तमाम सुविधाओं के साथ ही खेल के मैदान, स्वच्छ वातावरण, बिजली पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलेगी.

⦁ जो बच्चे हॉस्टल में रहना नहीं चाहते तो उनके आवागमन के लिए वाहन भी उपलब्ध होंगे. जिससे की कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह पाए.

CBSE रहेगा पढ़ाई का पैटर्न

स्कूलों में साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ ही पढ़ाई का पैटर्न CBSE होगा. जिससे कि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे भी शहरी और प्राइवेट स्कूल के बच्चों से मुकाबला कर सकें.

कम संख्या वाले स्कूलों से बनेगा एजुकेशन हब

बीते सत्र में 25 प्राथमिक और 1 मिडिल स्कूल को 1 से लेकर 10 के बीच विद्यार्थियों की संख्या होने के चलते बंद किया गया था. जबकि जिले में अब भी 513 ऐसे स्कूल हैं, जिनमे बच्चों की दर्ज संख्या 0 से लेकर 20 तक ही है. राज्य शिक्षा केन्द्र के नियमों के तहत प्राथमिक शाला में कम से कम 20 और माध्यमिक शाला में कम से कम 40 बच्चों का दाखिला होना अनिवार्य है. इन स्कूलों को पास के एजुकेशन हब वाले स्कूल से मर्ज कर दिया जाएगा.

Last Updated : Oct 21, 2020, 10:53 PM IST

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