मंडला। ये हैं एमपी की पुष्पा अम्मा. जिले में सरकार की ओर से 2018 में दीनदयाल रसोई की शुरुआत हुई थी, जिसमें तय हुआ था कि जरुरतमंदों को 18 रुपए की थाली 5 रुपए में देनी होगी. पुष्पा ज्योतिषी और उनका परिवार हमेशा से भूखों को भोजन कराने के लिए अपनी कमाई का दसवां हिस्सा खर्च करते रहे हैं. यही वजह है कि पुष्पा ने इस रसोई को चलाने का फैसला किया. शुरु के 15 दिन सैकड़ों लोगों को खुद के पैसों से भोजन कराया, बाद में हर महीने प्रशासन की तरफ से 20 क्विंटल चावल और 13 क्विंटल गेहूं एक रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलने लगा.
रोज करीब सौ लोगों के लिए भोजन बनाने, मसाले, सब्जी, सफाई, गैस खर्च और लेबर की तनख्वाह का खर्च कहां से आएगा किसी ने नही सोचा था. लेकिन पुष्पा के प्रोफेसर पति ने हर महीने करीब 25 हजार और पुलिस विभाग में तैनात बिटिया से हर माह 10 हजार रुपए मिलने लगे और चल पड़ी पुष्पा अम्मा की रसोई. यहां हर दिन रिक्शा चालक, हम्माल, गरीब मजदूर और भूखे लोग 5 रुपए में भरपेट खाना खाते हैं.
भूखों को मिलता है भरपेट खाना कमलनाथ सरकार में बंद हो गई थी मदद
पुष्पा ने बताया कि कमलनाथ सरकार में यहां मदद आनी बंद हो गयी थी. इसके बाबजूद उन्होंने हार नहीं मानी और रसोई चलाती रहीं. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन लगने के बाद यहां पर एक अप्रैल से फ्री में खाना खिलाने की शुरुआत हुई. इसके अलावा प्रशासन की तरफ से बाहर से आने वाले मजदूरों के लिए यहीं से भोजन के पैकेट बन कर जा रहे हैं. वहीं यातायात विभाग में भी हर दिन करीब 50 खाने के पैकेट जाते हैं. अब नई सरकार में पुष्पा ने नए सीएम शिवराज सिंह से मदद की मांग की है ताकि ज्यादा से ज्यादा भूखे लोगों का पेट भरा जा सके.
फ्री में खाना खिलातीं हैं पुष्पा सैकड़ों लोग खाना खा रहे रसोई में मुख्यमंत्री और मददगारों से अपील
पुष्पा का कहना है कि यदि जिले की सामाजिक संस्थाएं, व्यापारी और दानदाता दीनदयाल रसोई के लिए मदद का हांथ बढ़ाते हैं तो किसी को भी खाली पेट नही सोना पड़ेगा. दीनदयाल अंत्योदय रसोई शिवराज सिंह चौहान ने पिछली सरकार में चलाई थी. सरकार से मदद नही मिलने की वजह से सभी रसोईयां बंद हो गईं, जबकि मंडला मे अभी भी चल रही है. पुष्पा का कहना है कि विपरीत परिस्थिति के बाद भी उनकी इस रसोई पर शिवराज सिंह चौहान को ध्यान देना चाहिए. पुष्पा की इस रसोई ने हजारों भूखों का पेट भरा है और यह काम जारी है. जरुरतमंदों को खाने के पैकेट भिजवाए जा रहे हैं.