मंडला। रंगों के पर्व यानी होली को लेकर इस वक्त लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. या यूं कहें कि अब होली का रंग बाजार पर चढ़ने लगा है. लोगों के चेहरे रंग-बिरंगे नजर आ रहे हैं. बुराई पर अच्छाई के प्रतीक इस पर्व की शुरूआत नौ मार्च को होलिका दहन के साथ शुरू हो जाएगी और 11 मार्च तक लोग पूरी तरह रंगों में सराबोर नजर आएंगे. इसस पहले ईटीवी भारत की टीम आपको मंडला ले जा रही है.
यहां एक दिन पहले मनाई जाती है होली मंडला के धनगांव की होली की कहानी सबसे अलग है, क्योंकि यहां एक दिन पहले ही होली खेली जाती है. यानि जब पूरा देश होलिका दहन करता है, तब यहां के लोग रंग-गुलाल में सराबोर नजर आते हैं. इसके पीछे की पंपररा क्या है, इससे पहले आपको इस गांव के अलवेले और अनोखे रगं दिखाते हैं...जब होली आती है, तब यहां बढ़ों से लेकर बच्चे सबके चेहरों पर अलग ही खुशी नजर आती है. कोई ढोल बजाता है तो कई झूले से धुन बैठाता है.
गांव में मौजूद खैरमाता की मढ़िया गांव में होली के एक दिन पहले ही क्यों लोग रंग गुलाल लगाते हैं. इसके पीछे कई सालों से आ रही एक परंपरा है. ग्रामीणों की मानें तो अगर यहां होली के दिन होली खेली जाती है तो ग्रामीणों को इसकी कीमत नुकसान के साथ अदा करनी पड़ती है, किसी की फसल चौपट हो जाती है तो किसी से साथ अनहोनी भी होती है.
दीवाली और हरियाली अमावस्या भी एक दिन पहले मनाई जाती है
जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर घने जंगलों के करीब बसे धनगांव की इस परंपरा को दो बार तोड़ने की कोशिश भी की गई, जिसका खामिया लोगों को भुगतना पड़ा. लिहाजा अब ग्रामीण एक दिन पहले ही होली के रंग में रंग जाते हैं. ग्रामीण सबसे पहले खैरमाता की मढ़िया में पूजा करते हैं और फिर होलिका दहन वाले स्थान पर जाकर होली की राख से तिलक लगाते हैं. इसके बाद शुरू होती है रंग-गुलाल की होली. खास बात ये है कि यहां सिर्फ होली नहीं बल्कि दीवाली और हरियाली अमावस्या तिथि से एक दिन पहले ही मनाई जाती है.....