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मूर्तिकारों के लिए मुसीबत बनी गाइडलाइन, कैसे हो नुकसान की भरपाई ? - Durga Utsav at Mandla

सरकार ने दुर्गाउत्सव को लेकर नई गाइडलाइन एक दिन पहले जारी की है. जिसने मूर्तिकारों के लिए एक बार फिर मुसीबत खड़ी कर दी है, क्योंकि सिर्फ 6 फिट की मूर्ती बनाने और स्थापना के निर्देश हैं, जबकि मूर्तिकार अपनी मूर्तियां लगभग बना कर तैयार कर चुके हैं. ऐसे में वे बड़ी मूर्तियों का क्या करें, उन्हे ये बात समझ में नहीं आ रही है. पढ़िये पूरी ख़बर...

Guideline created trouble for sculptors
नई गाइडलाइन मूर्तिकारों के लिए बनी मुसीबत

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Published : Sep 22, 2020, 2:50 PM IST

Updated : Sep 25, 2020, 6:18 AM IST

मंडला। कोरोना के चलते मूर्तिकला से जुड़े कलाकारों को पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है. उसके बाद गणेशउत्सव में सार्वजनिक मूर्तियों की स्थापना को मंजूरी नहीं मिली और अब दुर्गाउत्सव के लिए सार्वजनिक स्थानों पर मूर्तियां बैठाने की इजाजत तो दी गई , लेकिन जो गाइडलाइन जारी हुई वह बहुत देर से हुई है, क्योंकि गाइडलाइन के मुताबिक सिर्फ 6 फिट की मूर्ती बनाने की अनुमति है, जबकि मूर्तीकार अपनी मूर्तियां लगभग बना कर तैयार कर चुके हैं, ऐसे में वे बड़ी मूर्तियों का क्या करें समझ नहीं आ रहा है.

नई गाइडलाइन मूर्तिकारों के लिए बनी मुसीबत

मुसीबत में मूर्तिकार

मूर्तिकारों का कहना है कि जब सरकार के द्वारा सार्वजनिक तौर पर मूर्तियां बैठाने की अनुमति दी गयी थी, तभी गाइड लाइन जारी कर देना था, जिससे कि कलाकार उस गाइड लाइन के मुताबिक न तो 6 फुट से ज्यादा ऊंचाई की मूर्ती का ऑर्डर लेते और न ही मूर्तियों का निर्माण करते, अब जब समय बहुत कम रह गया है और सभी कलाकार 80 प्रतिशत से ज्यादा काम कर चुके हैं, तब उन्हें कहा जा रहा कि मूर्तियों की ऊंचाई 6 फिट से ज्यादा न हो. ऐसे में जो मूर्तियां बन चुकी हैं उन्हें कोई लेगा नहीं और पास का पैसा लगा कर तैयार मूर्तियों में लगने वाला सारा सामान खराब हो जाएगा. जिससे कि उन्हें बड़ा नुकसान होगा, जबकि कोरोना ने पहले से ही इतना घाटा दे दिया है, कि अब और घाटा झेलने की उनमें शक्ति नहीं बची.

किसी काम का नहीं बचेगा तैयार मटेरियल

मूर्तियां बनाने के लिए,पैरा भूसा और लकड़ियों के साथ ही रस्सी और मिट्टी तक खरीदनी पड़ती है. जिसके बाद दिन रात एक कर पहले मूर्ती का ढांचा बनाया जाता है और उसमें गीली मिट्टी लगा कर सुखाने के बाद आकृति बनाई जाती है. ऐसे में जो ढांचे या आकृतियां बन चुकी है, उन्हें अगर फिर से खोला जाता है तो उसका मटेरियल किसी काम का नहीं रहता. मिट्टी से लेकर सारा सामान खराब हो जाएगा, और ऐसे में ये बन चुकी मूर्तियां किसी काम की नहीं रही. अब समझ नहीं आ रहा कि इन्हें तोड़ें फोड़ें या दुर्गाउत्सव के पहले ही इनका विर्सजन कर दें.

क्या कहते हैं मूर्तीकार

मूर्तीकारों का कहना है कि अब समय बिल्कुल नहीं बचा, क्योंकि दुर्गा प्रतिमा बनाने का काम गर्मी से ही शुरू हो जाता है और इस साल वे काफी देर से सरकार के द्वारा मिली अनुमति के बाद मूर्तियों का निर्माण करना शुरू किए. ऐसे में मूर्तियों के लिए ऊंचाई की कोई सीमा नहीं बताई गई थी, जो अब बताई जा रही जो सीधे तौर पर उनके व्यपार को प्रभावित करेगी और छोटी मूर्तियों से इतनी कमाई भी नहीं होती कि मेहनत मजदूरी और लागत निकल सके. ऐसी गाइड लाइन सिर्फ उनके व्यवसाय को डुबोने वाली है और कोरोना काल में वैसे ही परिवार चलाने में जो मुसीबतें आ रहीं वे और बढ़ जाएंगी.

क्या हैं सरकारी दिशा निर्देश ?

⦁ मूर्तियों की ऊंचाई 6 फिट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

⦁ दुर्गा पंडाल के लिए 10 फिट के टेंट या पंडाल लगाने की होगी इजाजत.

⦁ कोरोना संक्रमण को देखते हुए गरबे, झांकी या सांस्कृतिक किसी तरह के कार्यक्रम की इजाजत नहीं होगी.

⦁ लाउडस्पीकर या डीजे के लिए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन करना होगा.

⦁ मूर्तियों के विसर्जन पर भी सिर्फ 10 लोगों के जाने की अनुमति होगी.

मूर्तीकार पहले ही काफी मुसीबत झेल चुके हैं. ऐसे में शासन की इस नई गाइडलाइन के बाद उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा की वे तैयार की गई मूर्तियों का आखिर करें क्या. ऐसे में एक बार फिर वे शासन की तरफ ही उम्मीद लगाए हैं कि उनकी इस मजबूरी पर एक बार फिर विचार कर संवेदनशीलता से कोई दिशा निर्देश जारी किए जाएं

Last Updated : Sep 25, 2020, 6:18 AM IST

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