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आजादी के सात दशक बाद भी अंधकार में डूबा केवलारी गांव, सड़क और पानी की व्यवस्था के लिए तरस रहे ग्रामीण

जिले के भानपुर ग्राम पंचायत के केवलारी गांव में न बिजली है, और न ही पीने के पानी का कोई साधन, सड़क के लिए तरस रहे ग्रामीणों ने कलेक्टर से गुहार लगाई है, कि उन्हें बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिले.

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आजादी के 7 दशक के बाद भी नहीं पहुंची बिजली

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Published : Oct 15, 2020, 3:22 PM IST

मंडला। आजादी के 73 साल बाद भी लोगों को बिजली पानी जैसी सुविधाएं नसीब न हो तो, विकास को किस नाम से परिभाषित करेंगे. लेकिन मण्डला जिले का एक गांव ऐसा हैं, जहां बिजली सहित अन्य सभी बुनियादी सुविधाओं के आभाव में ग्रामीण रहने को मजबूर हैं. गांव वाले दर्जनों बार जिला मुख्यालय से लेकर जनप्रतिनिधियों और नेताओं से गुहार लगा चुके हैं. लेकिन किसी भी नेता या अधिकारी ने इन गांव वालों की नहीं सुनी.

शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है गांव

हालात ये है कि बिछिया तहसील के अंतर्गत मवई ब्लॉक की ग्राम पंचायत भानपुर का वार्ड नम्बर 9 शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है. आज़ादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी आज तक यहां बिजली नहीं पहुंची है, बिजली की व्यवस्था के नाम पर यहां पिछले साल पोल लगाए गए थे, जिसमें न तो तार है और न ही कोई कनेक्शन. इस वार्ड के दर्जनों परिवार केरोसिन के सहारे चिमनी की रौशनी में जीवन यापन कर रहे हैं.

ग्रामीण नदी का पीते हैं पानी

करीब 100 किलोमीटर का सफर तय कर जिला मुख्यालय पहुंचे, इन गांव वालों ने बताया कि इस टोले के लोग पास की नदी का पानी पीने को मजबूर हैं, गांव में न तो बोरबेल है, और न ही कुआं, बरसात के दिनों में तो मुसीबत और बढ़ जाती है. क्योंकि बाढ़ में गंदा पानी बह कर आता है, और उसी पानी से ग्रामीणों को अपनी प्यास बुझानी पड़ती है.

कीचड़ भरी सड़क एकमात्र आवागमन का साधन

केवलारी टोले की यह सड़क इतनी खराब है, कि बरसात में यहां घुटने भर से ज्यादा कीचड़ हो जाता है. ऐसे में लोगों को जिस मुसीबत से गुजरना पड़ता है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. यहां के लोगों को बीमारी या जरूरत पड़ने पर किसी तरह के साधन उपलब्ध ही नहीं हो पाते, क्योंकि न तो यहां सड़क है, और न ही बुनियादी सुविधाएं.

मनोरंजन के साधनों से लेकर मोबाईल और नेटवर्क से दूर, इन ग्रामीणों की मुसीबतों का अंदाजा लगा पाना मुश्किल है. यही वजह है कि आज तक विकास की बयार से महरूम ये ग्रामीण कभी कलेक्टर के तो कभी नेताओं और जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं, लेकिन आज तक इस गांव को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल सका है.

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