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जिला अस्पताल में डॉक्टरों और स्टाफ की भारी कमी, 29 में से 21 पद हैं खाली - एमपी न्यूज

मंडला जिला अस्पताल डॉक्टरों और स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. जिसके चलते कई बार मरीजों को बाहर रेफर करना पड़ता है.

मंडला अस्पताल

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Published : May 20, 2019, 3:13 PM IST

मंडला। जिला अस्पताल डॉक्टरों और स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहा है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पताल का भी बुरा हाल है. हालात यह है कि किसी भी तरह का ऐक्सीडेंट हो या फिर बीमारी मरीजों को जबलपुर रेफर करना पड़ता है.


इस बार लोकसभा चुनाव में मण्डला जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं का मुद्दा छाया रहा है. जन-जन की यही मांग रही है कि जो भी प्रत्याशी जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं को पटरी पर लाने का काम करेगा, उसे ही जनता अपना वोट देगी. ऐसे में बीजेपी से 5 बार के सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते हों या कांग्रेस के प्रत्याशी कमल सिंह मरावी या फिर निर्दलीय और दूसरे दलों के प्रत्याशी, सभी ने जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने के नाम पर ही जनता से वोट मांगने की कोशिश की.

खाली पड़े डॉक्टर के पद


इस कोशिश में कौन सा प्रत्याशी सफल हो पाता है, इसका फैसला 23 मई को आने वाले चुनाव परिणाम में साफ हो जाएगा. हालांकि विजयी चाहे जो भी हो, उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वह जनता की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए डॉक्टर और स्टाफ के खाली पदों को जल्द से जल्द भरने की कोशिश करे. बता दें कि मेडिकल विशेषज्ञ के 4 पद स्वीकृत हैं, इनमें से सभी रिक्त पड़े हुए हैं.


किन विभागों में रिक्त पड़े पद

  • शल्य क्रिया विभाग में 5 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 4 रिक्त हैं.
  • शिशु रोग विशेषज्ञ में 3 पद स्वीकृत हैं और 1 रिक्त है.
  • नेत्र विशेषज्ञ के 2 पद स्वीकृत हैं, जिसमें सिर्फ 1 ही विशेषज्ञ कार्यरत हैं.
  • स्त्री रोग में 4 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 1 ही विशेषज्ञ कार्यरत है.
  • अस्थि रोग विशेषज्ञ के 4 पद हैं, जिनमें से 3 रिक्त पड़े हुए हैं.
  • निश्चेता विशेषज्ञ जिले में 6 होने चाहिए, लेकिन कार्यरत सिर्फ 1 है
  • रेडियोलॉजी विशेषज्ञ के 3 पद स्वीकृत हैं, लेकिन कार्यरत सिर्फ 1 है
  • पैथोलॉजी विभाग में 3 में से 2 पद रिक्त हैं.
  • नाक कान गला रोग विशेषज्ञ के 2 पद स्वीकृत हैं, जो दोनों ही खाली पड़े हुए हैं.

यही हालत मानसिक रोग विशेषज्ञ और त्वचा रोग विशेषज्ञ का है. इनमें 1-1 पद स्वीकृत हैं, लेकिन दोनों ही रिक्त पड़े हुए हैं.
इस तरह चिकित्सा अधिकारी की बात करें, तो जिला अस्पताल के लिए 29 पद स्वीकृत हैं, लेकिन सिर्फ 8 कार्यरत हैं. जिसमें 21 पद रिक्त पड़े हुए हैं. यह आंकड़ा बताता है कि जिले के अधिकतर पद खाली पड़े हुए हैं.

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