मंडला। प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच मुक्त भारत बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कोसो दूर है. मंडला जिले के ऐसे कई गांव है जहां बैगा जनजाति और आदिवासी लोग खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं.
जिला मुख्यालय से बस 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत माधोपुर का मारार टोला गांव हो या फिर 8 किलोमीटर दूर जंतीपुर का कुदई टोला गांव, इन सभी गांवों मे एक ही समानता है. कि यहां ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. क्योंकि यहां सरकार की तरफ से शौचालय का निर्माण नहीं किया गया और जो किया भी गया वो आधा अधूरा है, वहां शौचालय के निर्माण पर सिर्फ लकड़ी, कंडे और भूसा रखा हुआ है. जिसके चलते महिलाएं, बच्चे खुले में शौच के लिए जाते हैं.
ऐसे ही हालात भंवरदा गांव के है. यहां भी ग्रामीण सालों से खुले में शौच के लिए जाते है. इस बीच कितनी बार महिलाओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन आधे अधूरे शौचालय की शिकायत ग्रामीणों के द्वारा जिला प्रशासन से लेकर जनपद पंचायत तक भी कई बार की जा चुकी है, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात जैसा ही रहा.