मण्डला। स्वर्णमसि मण्डला के इतिहास की वो धरोहर है, जो यहां की सुख-समृद्धि की तस्दीक करती है. इसके हर एक पन्ने पर दर्ज चित्रकला के नमूने का कोई सानी नहीं है. गोंड़ी लोककला संग्रहालय में संरक्षित ऐतिहासिक धरोहर करीब 300 साल पुरानी है, जिस पर चित्रकला के जरिये माहिष्मति साम्राज्य का समृद्ध इतिहास तारीख पर दर्ज है. जिसके पन्नों पर खींची गयी लकीरों में जो रंग भरे गये हैं, उसे तैयार करने के लिए सोने की स्याही का उपयोग किया गया है. जो अपने आप में अद्भुत है.
ये चित्रकला का वो नायाब नगीना है, जिसमें महाभारत, गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों का वृतांत बड़ी ही बारीकी और खूबसूरती के साथ उकेरा गया है, जिनमें रंगों के साथ सोने की स्याही का उपयोग किया गया है. इतिहासकारों के अनुसार स्वर्णमासी की रचना 300 साल पहले की गई थी, लेकिन इसे किसने बनवाया था, ये किसी को पता नहीं है. माना जाता है कि उस दौर में लोग कम पढ़े-लिखे होते थे. लिहाजा, उन्हें समझाने के लिए किस्से-कहानियों के साथ चित्रों का भी प्रयोग किया जाता था.