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लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां हुई तेज, जानें क्या कहता है खरगोन जिले का मतदाता

लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां हुई तेज, लोकसभा चुनाव को लेकर खरगोन जिले के मतदाताओं ने रखी अपनी राय, मतदाताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जाता है, स्थानीय मुद्दे को प्राथमिकता नहीं दी जाती है

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Published : Apr 4, 2019, 7:39 PM IST

खरगोन जिले का मतदाता की राय

खरगोन। मध्यप्रदेश में जैसे- जैसे तापमान बढ़ रहा है, वैसे- वैसे लोकसभा सियासत भी गर्माने लगी है. मतदाताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जाता है, स्थानीय मुद्दे को प्राथमिकता नहीं दी जाती है. ऐसे ही एक मतदाता संजय पराशर का कहना है कि खरगोन आदिवासी बहुल जिला है. खास बात यह है कि यह कृषि प्रधान है. लेकिन आजादी से लेकर अब तक इस क्षेत्र में रेल मार्ग की मांग की गई, लेकिन आज तक रेल की मांग पूरी नहीं हुई है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज कृषि महाविद्यालय यहां के स्थानीय मुद्दे हैं.

मतदाता दिलीप पंचोली ने कहा कि 'साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी-बड़ी घोषणाएं और लोक लुभावन वादे किए और वादा कर भूल गए. बीजेपी ने ढाई लाख से ज्यादा मतों से जितने वाले वर्तमान सांसद सुभाष पटेल की निष्क्रियता के चलते उनका टिकट कटा है. उन्होंने कहा कि जब पीएम गुजरात में 3 हजार करोड़ रुपए खर्च कर सरदार पटेल की मूर्ति बना सकते हैं तो गरीबों को राहुल गांधी द्वारा 72 हजार रूपए देने में क्या बुराई है'.

खरगोन जिले का मतदाता की राय

मतदाता अनवर जिन्दरान ने कहा कि 'ये बात सही है कि लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़े जाते है. यहां से वर्तमान सांसद सुभाष पटेल को जनता ने ढाई लाख से ज्यादा मतों से जीता कर भेजा था, परन्तु उन्होंने यहां कि समस्याओं को सांसद में नहीं उठाया. इसके साथ ही उद्योग धंधे का नहीं होना, उच्च शिक्षा के स्तर में कमी, रोजगार का न होना और सालों पुरानी मांग रेल को भी पूरा नहीं किया गया है. निमाड़ का व्यक्ति मेहनतकश है'.

युवा मतदाता प्रवीण पाल ने कहा कि चुनाव आते ही पार्टियां जुमले बाजी करती हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 72 हजार रुपए सलाना देने की बात कही है लेकिन यह पैसे कहां से आएंगे, जबकि देश का प्रत्येक व्यक्ति पर 4- 5 लाख रुपए कर्ज में डूबा हुआ है. क्या देश को कहीं और बेचा जाएगा. वहीं पीएम मोदी पर भी अपनी राय रखते हुए कहा कि उनके वादे भी कागजों में सिमट कर रह गए हैं. इसके साथ ही बेरोजगारी का ग्राफ भी बढ़ गया है. हर युवा रोजगार की तलाश में भटक रहा है. उनका कहना रहा कि वे एक पढ़े लिखे बेरोजगार युवा है, और वे इस सरकार से संतुष्ट नहीं हैं.

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