शिव भक्ति की लगन ऐसी की मां नर्मदा के स्नान के लिए रोज 55 KM दूर से आते हैं महेश्वर, पद्मासन लगाकर करते हैं पाठ
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है. आज हम ऐसे शिव भक्त के बारे में बताने जा रहे हैं जो शिव कि भक्ति के लिए धार के नालछा से 55 किलोमीटर दूर खरगोन कि पौराणिक नगरी महेश्वर मे आकर मां नर्मदा की गोद मे प्रतिदिन पद्मासन लगाते हैं.
अशोक दायमा की कहानी
By
Published : Jul 22, 2023, 2:08 PM IST
|
Updated : Jul 22, 2023, 2:40 PM IST
अशोक दायमा की कहानी
खरगोन। मध्यप्रदेश की पौराणिक नगरी महेश्वर शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है और देश भर से श्रद्धालु महेश्वर आते हैं ऐसे ही एक शिव भक्त हैं धार जिले के नालछा के रबने वाले अशोक दायमा जो पेशे से शिक्षक हैं और बालक आश्रम मेघापूरा की मिडिल स्कूल के बच्चों को पढ़ाते हैं. अशोक दायमा पिछले करीब 35 वर्षों से 55 किलोमीटर की दूरी तय कर महेश्वर नर्मदा स्नान के लिए आ रहे हैं. पहले कुछ विशेष अवसरों पर ही आते थे लेकिन पिछले 6 वर्षों से वे लगातार मां नर्मदा के तट पर आ रहे हैं.
पद्मासन लगाकर करते हैं पाठ: यह मां नर्मदा के प्रति दायमा की आस्था है कि प्रतिदिन 55 किलोमीटर की दूरी तय कर वह यहां हर परिस्थिति कि बढ़ा को पार करते हुए आते हैं और मां नर्मदा के जल में पद्मासन लगाकर मां नर्मदा के जल में रुद्राष्टक,नर्मदा अष्टक, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड एवं अंत में आरती करते हैं. यह कर्मकांड करीब डेढ़ घंटे चलता है. इस प्रकार अपने जीवन से प्रतिदिन 4 घंटे वह मां नर्मदा जी को देते हैं जिसमें 2 घंटे आने-जाने के रहते हैं.
नर्मदा में फहराते हैं तिरंगा: अशोक दायमा 15 अगस्त और 26 जनवरी राष्ट्रीय पर्व पर दोनों हाथों में तिरंगा लेकर करीब एक घंटा नर्मदा जी में ध्वज फहराते हैं. दायमा ने अपनी बातचीत के दौरान बताया कि मैया की कृपा से इतने वर्षों तक से आ रहा हूं और सुरक्षित आवागमन होता है. कभी कोई दुर्घटना या हादसा नहीं हुआ है चाहे कड़कती ठंड हो, गर्मी हो या बारिश हो, वह महेश्वर आने का क्रम नहीं तोड़ते हैं. अशोक ने बताया कि उन्हें कई ग्रंथ है कंठाग्र याद हैं. अशोक दायमा की अभी उम्र करीब 58 वर्ष की है लेकिन उनकी चुस्ती फुर्ती में वृद्धावस्था नहीं झलकती है.
कई धार्मिक स्थलों पर भी कर चुके हैं पाठ: दायमा नालछा के चौसठ जोगनी मंदिर के सामने स्थित मानसरोवर तालाब में भी त्योहारों और विशेष अवसरों पर पद्मासन लगाकर सुंदरकांड का पाठ करते हैं जिसे सुनने बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. अशोक दायमा इस प्रकार पद्मासन लगाकर विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का पाठ मध्यप्रदेश ही नहीं भारत के कई धार्मिक स्थलों पर भी कर चुके हैं. अशोक दायमा की अभी उम्र करीब 58 वर्ष की है लेकिन उनकी चुस्ती फुर्ती में वृद्धावस्था नहीं झलकती है.