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ऑनलाक में लौटी खेल मैदान की रौनक, राष्ट्रीय खेल दिवस पर खिलाड़ियों ने मेजर ध्यानचंद को किया याद - खरगोन न्यूज

हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. राष्ट्रीय खेल दिवस पर खिलाड़ियों पर मेजर ध्यानचंद को याद करते हुए उनके प्रति सम्मान प्रकट किया है.

Players remember Major Dhyanchand
खिलाड़ियों ने मेजर ध्यानचंद को किया याद

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Published : Aug 29, 2020, 7:03 AM IST

खरगोन। हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है. राष्ट्रीय खेल दिवस हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती के दिन मनाया जाता है. ध्यानचंद ने भारत को ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक दिलवाया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय हॉकी को पहचान दिलाई. कोरोना काल में संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया था. जिस वजह से खेल गतिविधियां थम सी गई थी. अब अनलॉक के बाद खिलाड़ी स्टेडियम तक पहुंचने लगे हैं. राष्ट्रीय खेल दिवस पर खिलाड़ियों ने मेजर ध्यानचंद को याद करते हुए उनके प्रति सम्मान प्रकट किया है.

ऑनलाक में लौटी खेल मैदान की रौनक

हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद को याद करते हुए हॉकी खिलाड़ी ओशी जायसवाल ने कहा कि, हमें अपने खेल के प्रति इमानदार रहने चाहिए. ओशी का कहना है कि, मैं बीते पांच सालों से लगातार स्टेडियम में आ रही हूं. यहां अच्छी ट्रेनिंग मिलती है. जिसकी कारण मैं यूनिवर्सिटी और नेशनल स्तर पर गुजरात में खेल कर आई हूं. यहां कोरोना के कारण खेल गतिविधियां बन्द थी. उसका कहना है कि, कोच हमे ऑनलाइन कोचिंग दे रहे थे. अभी ऑनलाक हुआ है, तो 5 लड़के और 5 लड़कियों को खेल की अनुमति मिली है. जिससे खिलाड़ियों में काफी खुशी है.

खिलाड़ियों ने मेजर ध्यानचंद को किया याद

वहीं स्पोर्ट्स टीचर प्रवीण किरावत का कहना है कि, किसी भी खिलाड़ के लिए हर दिन खेल दिवस होता है, लेकिन 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस सभी खिलाड़ी को अच्छे से मनाना चाहिए, क्योंकि इस दिन हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद जयंती है. मेजर ध्यानचंद ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय हॉकी को पहचान दिलाई थी, जो हर भारतीय के लिए एक गर्व की बात है.

वहीं मलखंब के कोच सत्यवीर पुरोहित का कहना है कि, मेरे लिए खेल दिवस एक त्योहार की तरह है, क्योंकि मैं खेल एवं युवा कल्याण विभाग का कोच हूं, मैंने अभी तक कई दिव्यांग बच्चों को कोचिंग दे चुका हूं. उनका कहना है कि, यहां से कई खिलाड़ी स्टेट स्तर पर खेल चुके हैं.

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